नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की कैसे करें पूजा, जानें मंत्र, विधि और भोग, मिथिला के पंडित से जानें

विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. हिंदू धर्म में नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विशेष श्रद्धा और भक्ति से की जाती है. ऐसा कहा जाता है की नवरात्रि को विशेष महत्व दिया गया है, तो वही नवरात्रि में लोग मां दुर्गा की 9 अलग-अलग स्वरूपों की 9 दिनों तक पूजा करते हैं और दसवें दिन विजयादशमी मनाते हैं. इस पर विशेष जानकारी देते हुए पूर्णिया के पंडित व ज्योतिषी दयानाथ मिश्र कहते हैं कि नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व दिया गया है.

मां तो मां होती है. सबसे ज्यादा मां दयालु होती है, इसलिए अपने बच्चों की हर भूल और हर गलतियों के लिए तुरंत माफ कर देती है. ऐसे में अगर कोई श्रद्धालु मां के चरणों में सच्चे मन और श्रद्धा भक्ति के साथ अपने आप को न्योछावर करें. तो मनवांछित फल मिलता है.

7वें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा
पंडित दयानाथ मिश्र कहते हैं कि इस बार की नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक चलेगा. वहीं कालरात्रि पूजा नवरात्रि के सातवें दिन मनाया जाता है. जिसके बाद महिलाएं अष्टमी के दिन मंदिर जाकर खोइछा भरती हैं. उन्होंने कहा नवरात्रि के सप्तमी तिथि को मां दुर्गा को प्राण प्रतिष्ठा करके स्थापित किया जाता है. उनके अंगों की पूजा की जाती है.

उनकी जितनी भी जोगनी हैं और साथ में जो देव- देवता महादेव, कार्तिक, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती सहित अन्य देवताओं की पूजा कर आवाहन किया जाता हैं.

इस कारण होती माता की विशेष पूजा
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. इस दिन मां का मन बहुत प्रसन्न मुद्रा में रहता है. उस दिन मां वरदान देने के लिए पूरी तरह तैयार रहती है. इसलिए सप्तमी को लोग एक भुक्त भोजन करके अष्टमी को उपवास करते हैं. नवमीं के बाद दशमी को व्रत समाप्त करते हैं. इस बार सप्तमी के रात में ही अष्टमी निशा पूजा होती हैं. उसी दिन रात में संधी पूजा होगी.

अष्टमी और दशमी को मां का खोइछा भरा जाता है. मां को लोग बेटी के रूप में मानते हैं. मां अगर अपनी मायके आई हैं, यहां से जाएगी तो खाली हाथ कैसे जाएगी. इसलिए कोई भी बेटी को मायके से खाली हाथ नहीं भेजी जाती. मां-बेटी के रूप में उन्हें प्यार भक्ति और श्रद्धा से खोइछा भरा जाता है. मां दुर्गा तो साक्षात शिव की पत्नी है.

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इसलिए अष्टमी के दिन नया वस्त्र,अरवा, चावल, उसमें, फल और पान सुपारी मिठाई द्रव आदि देकर के मां को खोइछा दिया जाता है. पंडित जी ने कहा कि यह सप्तमी के कालरात्रि पूजा यानी देवी के प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद ही यह खोइछा देने की परंपरा है. दशमी को भी विसर्जन देते हैं, मां की विदाई कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

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इन मंत्रों का करें जाप
पंडित जी कहते है कि कालरात्रि माता की पूजा करने के लिए शहर में ज्यादातर बंगाली पद्धति से लोग भोग लगाते हैं. जिसमें खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. लेकिन आप इस दिन अलग-अलग तरह के मिठाई और पकवान से भी माता को भोग लगा सकते हैं जिससे प्रसन्न होकर मां आपको आशीर्वाद देंगी. वहीं ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै मंत्र का जाप करना बहुत लाभकारी होगा.

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