नवरात्रि के 5वें दिन ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

ज्योति खंडेलवाल/पलवल. नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं. स्कंदमाता की पूजा से कष्टों से मुक्ति मिलती है.

सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें. उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें.

स्कंदमाता के मंत्र
मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है. इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है.

  1. सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
    शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
    2. ॐ देवी स्कंदमातायै नमः॥

संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कंद माता का मंत्र
पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कंद माता हैं. जिन व्यक्तियों को संतानाभाव हो, वे माता की पूजन-अर्चन तथा मंत्र जप कर लाभ उठा सकते हैं.

Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Haryana news, Latest hindi news, Local18, Navratri, Palwal news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *