नर्मदा नदी का जल, प्रसादी, वस्त्र, जानें रामलला के लिए ओंकारेश्वर से क्या-क्या जाएगा

अमित जायसवाल

खंडवा. देशभर में उत्साह, उमंग और उल्लास है, क्योंकि रामलला भव्य मंदिर में विराजने वाले हैं. देश और दुनिया से अयोध्या में कोई न कोई कुछ न कुछ लेकर पहुंचने वाला है. ऐसे में देश के 12 ज्योर्तिलिंग में से एक ओंकारेश्वर भला पीछे कैसे छूट सकता है, क्योंकि ओंकारेश्वर से तो रामलला के रघुकुल की रीत और प्रीत दोनों जुड़ी हुई है. भगवान राम के कुल के राजा मांधाता के तप से प्रसन्न होकर ही भगवान शिव यहां ज्योर्तिलिंग के रूप में स्थापित हैं.

अब ओंकारेश्वर से राम लला के लिए कलयुग की गंगा कही जाने वाली नर्मदा नदी का जल, प्रसादी और अंग वस्त्र जाने वाले हैं. इन्हें ले जाने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रतिनिधि निभाएंगे.

22 जनवरी को होगी प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में श्री राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसके लिए 7000 लोगों को निमंत्रण पत्र भेजा गया है. इसमें वीआईपी के साथ ही देशभर से 4 हजार संतों को बुलाया जा रहा है. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी ने ओंकारेश्वर के महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी और तीर्थ नगरी के संत मंगलदास महाराज, नर्मदानंद महाराज सहित मालवा प्रांत से 11 संतों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण भेजा है. महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद पुरी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक प्रतिनिधि भी हैं. ऐसे में उन्हें यहां से नर्मदा का पवित्र जल, ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर की प्रसादी और अंगवस्त्र ले जाने की जिम्मेदारी मिली है. यूपी के सीएम और गोरक्षनाथ पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खुद भगवान ओंकारेश्वर को राम लला के प्रतिष्ठा समारोह में पधारने का आमंत्रण दे चुके हैं.

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राम लला का ओंकारेश्वर से सीधा जुड़ाव है. मान्यता भी है, इतिहास भी है और पुराणों में उल्लेख भी है कि रघुकुल के राजा मांधाता ने यहां नर्मदा किनारे इस पर्वत पर घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया. शिवजी के प्रकट होने पर उनसे यहीं निवास करने का वरदान मांग लिया. तभी से प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाने लगी. इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है. इसमें 68 तीर्थ हैं. यहां 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं.

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