नरक चतुर्दशी की रात इस स्थान पर जलाएं दीप, परिवार के हर सदस्य की बढ़ेगी उम्र

प्रवीण मिश्रा/खंडवा. धनतेरस और दीपावली के बीच नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इसे छोटी दिवाली और रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार नरक चतुर्दशी 11 नवंबर यानी कल मनाई जाएगी. इस दिन पहले नरक चौदस की पूजा की जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन घर के बाहर एक चौमुखी दीपक जलाया जाता है.

पंडित राजेश पाराशर के अनुसार, नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा करने की परंपरा है. इस दिन यमराज की पूजा करने के बाद परिवार के सभी सदस्यों की लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है. इससे अकाल मृत्यु का खतरा टलता है और परिवार के सदस्यों की आयु बढ़ती है. इस दीपक को घर के मुख्य द्वार की चौखट पर रखा जाता है. यह दिन यमराज के लिए ही समर्पित माना जाता है.

दीपक जलाने के नियम
पंडित जी ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्य द्वार की चौखट पर जलने वाले इस दीपक को यम दीप कहा जाता है. इस दीपक में दो बत्तियां क्रॉस करके इस तरह लगाई जाएं कि उनके मुख चारों दिशाओं में रहें. दीपक को एक तरफ से जलाया जाए और इसे मुख्य द्वार की चौखट पर इस तरह से रखा जाए कि जलती हुई बाती दक्षिण दिशा की ओर रहे. दक्षिण दिशा में यमराज और सभी पूर्वजों का निवास माना गया है, इसलिए दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाकर यमराज को समर्पित किया जाता है.

दीपक की करें निगरानी
दीपक रखने के बाद यमराज से परिवार के लोगों की दीर्घायु और उनके जीवन की समस्याओं का अंत करने की प्रार्थना करें. जब तक दीपक जले, इसकी निगरानी करें और दीपक के विदा होने के बाद इसे घर के अंदर किसी स्थान पर रख दें.

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