नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा ने भारतीय कुश्ती महासंघ से जुड़े विवाद को खत्म करने की कवायद के तौर पर रविवार को पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह को मिलने के लिए बुलाया. सिंह के करीबी लोगों के भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का नियंत्रण लेने के बाद कुछ प्रमुख पहलवानों ने अपना प्रदर्शन फिर से शुरू कर दिया है जिससे एक विवाद खड़ा हो गया है.
सूत्रों ने बताया कि यह पार्टी नेतृत्व का दबाव ही था कि लंबे समय तक डब्ल्यूएफआई पर अपनी पकड़ बनाए रखने वाले सिंह ने घोषणा की कि अब उनका संघ से कोई लेना-देना नहीं है. पूर्वी उत्तर प्रदेश से सांसद सिंह ने नड्डा से मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा, “मैंने अब संन्यास ले लिया है. मेरे पास और भी बहुत जिम्मेदारियां हैं. मुझे चुनाव (लोकसभा) तैयारियां भी देखनी हैं.”
उन्होंने नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर खेल मंत्रालय द्वारा डब्ल्यूएफआई को निलंबित करने की घोषणा के बाद यह बयान दिया. यह पूछने पर कि बैठक में क्या बातचीत हुई, इस पर सिंह ने सिर्फ इतना कहा कि नड्डा उनके नेता हैं और उन्होंने दावा किया कि कुश्ती विवाद को लेकर उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
पांच बार के लोकसभा सांसद सिंह ने रविवार को कुश्ती मुद्दे पर सवालों का जवाब देने में आत्म संयम दिखाया और उन्होंने कहा कि अब कुश्ती से उन्होंने नाता तोड़ लिया है. कैसरगंज से फिर से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह उनकी प्राथमिकता होगी, लेकिन फैसला पार्टी को करना है.
उन्होंने पहले दावा किया था कि उनके विश्वासपात्र संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के बाद उनका “दबदबा” जारी रहेगा, लेकिन यह भी अब खत्म हो गया और इस बयान के साथ लगे पोस्टर भी अब हटा दिए गए हैं. सिंह ने स्वीकार किया, “मुझे अहसास हुआ कि इनमें से कुछ पोस्टर से अहंकार की बू आ रही थी.”
देश के कुछ जाने-माने पहलवानों के डब्ल्यूएफआई में सिंह के वर्चस्व के खिलाफ प्रदर्शन करने के कारण भाजपा को चुनाव के दौरान जाट समुदाय के विरोध की चिंता है जो कि हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हैं. विरोध कर रहे लगभग सभी पहलवान हरियाणा के हैं और जाट समुदाय से आते हैं.
ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक तथा विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट सहित देश के चोटी के पहलवानों ने बृजभूषण पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाकर विरोध प्रदर्शन किया था. इस मामले की सुनवाई दिल्ली उच्च न्यायालय में हो रही है.
डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष ने अपने खिलाफ आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि उन्हें कांग्रेस नेताओं की साजिश का शिकार बनाया जा रहा है. भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी में कई लोगों का मानना है कि इस मामले में टकराव की एक वजह सिंह का अड़ियल व्यवहार भी है और अब उनकी घोषणा से विवाद थोड़ा शांत करने में मदद मिल सकती है.
बहरहाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के ठाकुर नेता सिंह कई निर्वाचन क्षेत्रों में एक प्रभावशाली नेता हैं और उन्हें अच्छा-खासा समर्थन हासिल है. खेल मंत्रालय ने रविवार को डब्ल्यूएफआई को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया क्योंकि नवनिर्वाचित संस्था ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की ‘जल्दबाजी में घोषण’ की थी. मंत्रालय ने साथ ही कहा कि नई संस्था ‘पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण’ में काम कर रही थी जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : December 24, 2023, 23:47 IST