धूल के छोटे से छोटे कणों को अब लगेगी लगेगी वाट! IIT कानपुर की इस मशीन से वातावरण रहेगा शुद्ध

अखंड प्रताप सिंह/कानपुर: पॉल्यूशन देश भर में बड़ी समस्या है. पॉल्यूशन की वजह से हर साल बड़ी संख्या में लोगों फेफड़े संबंधित रोगों से भी प्रभावित होते हैं. आईआईटी कानपुर लगातार कई ऐसी तकनीक बनाई है जो पॉल्यूशन से लड़ने और पॉल्यूशन को कम करने के लिए काम करती हैं. एक बार फिर आईआईटी कानपुर में एक हाई वॉल्यूम एयर सैंपलर तैयार किया है, जो धूल के छोटे से छोटे कण होते हैं उनका भी पता लगाएगा और लोगों को शुद्ध हवा भी देगा.

जब हम पॉल्यूशन की बात करते हैं तो 2.5 पीएम की भी बात सामने आती है. इसका मतलब होता है धूल के वह छोटे कण जिनका आकार 2.5 माइक्रोन या उससे कम होता है. यह सीधे हमारे फेफड़ों में पहुंचते हैं और उनको नुकसान पहुंचाते हैं और वहीं गर्मी के मौसम में जहां यह हवा के मिल जाते हैं. तो वहीं सर्दी में यह कोहरे के रूप में सामने आते हैं जो दोनों तरीकों से लोगों के लिए नुकसानदायक होता है.

2.5 पीएम से छोटे कणों का भी लगाएगा पता
वहीं आईआईटी कानपुर द्वारा तैयार की गई इस डिवाइस से यह आसानी से हम जान सकेंगे कि हमारे आसपास कितने पीएम 2.5 के छोटे कण है. यह कहां से आ रहे हैं इनका सोर्स क्या है यह सब यह मशीन बताएगी. इसके साथ ही यह उनका हवा से निकलने का भी काम करेगी और लोगों को शुद्ध हवा देगी.

1 मिनट में 10 लीटर कणों को इन्हेल करता है समान व्यक्ति
बता दें कि दे पीएम 2.5 से छोटे कणों को एक समान व्यक्ति 1 मिनट में लगभग 10 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से इन्हेल करता है. वही इस हाई वॉल्यूम और सैंपलर मशीन की बात की जाए तो यह 1000 लीटर प्रति मिनट की क्षमता से सैंपल इकट्ठा करती है और फिर उसको और प्यूरिफाई करने का भी काम यह डिवाइस करती है. यह तकनीक और प्रोडक्ट तैयार करने वाले आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर तरुण गुप्ता ने बताया कि इस मशीन का प्रयोग इंडस्ट्रियल एरिया बड़े-बड़े अस्पतालों इंडस्ट्रीज होटल में किया जा सकेगा. जहां पर अधिक संख्या में लोगों का आना-जाना लगा रहता है. उन्होंने बताया कि कोरोना के समय में उन्होंने यह तकनीक तैयार की थी. जिसके बाद से इसमें लगातार काम किया जा रहा था. अब इसको एक प्रोडक्ट के फॉर्म में बना कर तैयार किया गया है.

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