विशाल भटनागर/मेरठ: मेरठ कैंट स्थित औघड़नाथ मंदिर धार्मिक दृष्टि से भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इसके अलावा कहा जाता है कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इस मंदिर की महत्वपूर्ण भूमिका थी. दरअसल, कभी इसी मंदिर परिसर में एक साधु क्रांतिकारी में आजादी की ज्वाला को जागृत करने के लिए निरंतर प्रयास करते थे. उन्हीं साधु ने अंग्रेजी हुकूमत में शामिल भारतीय सैनिकों में भी यह ज्वाला उत्पन्न की थी. इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सैनिकों ने विद्रोह किया था.
इतिहासकार प्रोफेसर नवीन गुप्ता बताते हैं कि 10 मई 1857 को जो क्रांति की ज्वाला उत्पन्न हुई थी. उसमें महत्वपूर्ण योगदान काली पलटन अर्थात औघड़नाथ मंदिर में बने कुएं पर रहने वाले एक साधु का था. आज भी उस साधु के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है कि आखिर वह कौन थे. लेकिन, अंग्रेजी हुकूमत में जो भारतीय लोग शामिल थे. उनमें आजादी की ज्वाला उत्पन्न करने के लिए इन्हीं बाबा ने महत्वपूर्ण योगदान निभाया था. यह साधु सैनिकों को पानी पिलाते हुए अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों को बताते थे. साथ ही कहते थे जिन कारतूस को तुम उपयोग कर रहे हो. वह सूअर और गाय से बने हुए हैं. साधु की यह बातें सैनिकों को काफी चुभती लगी थी और अंत में एक ज्वाला बनकर उभरी.
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कर दिया था विद्रोह
काली पलटन में जो भारतीय सैनिक शामिल थे. उनमें से ही 85 सैनिक ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया था. इसके बाद यह चिंगारी धीरे-धीरे ज्वाला का रूप लेने लगी. मेरठ के विभिन्न स्थानों पर क्रांतिकारियों द्वारा उन सैनिकों को भरपूर सहयोग किया था. इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने उन सैनिकों का कोर्ट मार्शल करते हुए उनको विक्टोरिया पार्क की जेल में बंद कर दिया था. जहां से अन्य क्रांतिकारियों ने उन सभी सैनिकों को छुड़ाते हुए दिल्ली के लिए कूच किया था.
उमड़ता है आस्था का सैलाब
बताते चले मंदिर में जो भी श्रद्धालु भोले बाबा की पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. वह सभी परिसर में ही बने शहीद स्मारक पर जाकर क्रांतिकारियों को भी नमन करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ भी मंदिर परिसर में भोले बाबा के दर्शन कर उन सभी क्रांतिकारियों को नमन कर चुके हैं.
.
Tags: Local18, Meerut news
FIRST PUBLISHED : January 26, 2024, 19:47 IST