धान-गेहूं छोड़…यूपी के किसान ने शुरू की मिर्ची की खेती, बदल गई किस्मत, बंपर हो रहा मुनाफा

विकाश कुमार/चित्रकूट: चित्रकूट का पाठा क्षेत्र बेरोजगारी के लिए हमेशा सुर्खियों में रहता था, लेकिन अब बदलते दौर के साथ चित्रकूट की अब तस्वीर भी बदल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के संकल्प के साथ चित्रकूट के किसान खुद को आत्मनिर्भर बनाने में जुट गए हैं. वे अब गेहूं, चावल, सरसों के इतर अब मिर्ची की खेती कर आय दोगुनी कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं.

हम बात कर रहे हैं चित्रकूट जिले के बराहमाफी गांव की. जहां के किसान अब आत्मनिर्भर बनते हुए अब मिर्ची की खेती कर रहे हैं. उन्होंने इस खेती की शुरुआत आज से 3 से 4 साल पहले शुरू की थी और अपने खेतों में मिर्ची की खेती कर उनको बाजारों में बेचकर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं. वह अपने खेत के तीन से चार बीघा में मिर्ची की खेती कर रहे हैं. अगर पूरे गांव की बात की जाए तो पूरे गांव में 10 से 12 बीघे में मिर्ची की खेती हो रही है.

मिर्च की खेती से किसान ने कमाया जबरदस्त मुनाफा

मिर्ची की खेती कर रहे अशोक चंदेल ने बताया कि वह लगभग चार वर्षों से मिर्ची की खेती कर रहे है. उन्होंने बताया कि वह भी पहले गेहूं, सरसों जैसी अन्य फसलों की खेती किया करते थे. लेकिन उनमें टाइम ज्यादा खर्च हुआ करता था और मुनाफा भी कम मिलता था, तभी उनको ख्याल आया कि क्यों न मिर्च की खेती की जाए इसमें लागत भी काम है और मुनाफा ज्यादा है.मात्र तीन महीने में रोजाना अच्छा मुनाफा होता है. किसान के लिए यह फायदे की खेती है.

ऐसे होती है मिर्च की खेती

किसान ने बताया कि मिर्ची की खेती के लिए उन्होंने मिर्ची का बीज बाजार से खरीदा, जो की 650 रुपए का मिलता है.उसके बाद उन्होंने अपनी नर्सरी में इसको तैयार किया.नर्सरी में यह 35 दिन में तैयार हो जाते हैं. उसके बाद उन्होंने नर्सरी से इन मिर्ची के पौधों को उखाड़ कर पौधा रोपण अपने खेत में किया.  40 दिन बाद यह पौधे मिर्ची देने लगते हैं. इसमें  9 से 10 दिन में पानी दिया जाता है. मिर्च की खेती की खासियत यह होती है कि इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है.

25 हजार एक बीघे में होता है खर्च

मिर्च की खेती की खासियत यह होती है कि इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. किसान अशोक चंदेल ने बताया कि इसकी खेती करने के लिए 25 हजार रुपए की लागत आती है. इसके बाद जब वह इस मिर्ची को बाजारों में बेचते है. तो एक बीघा से लगभग एक लाख रुपए की बचत हो जाती है और उसका एक पौधा लगभग 8 महीने तक मिर्ची देता है.

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