संजय यादव/बाराबंकी: बाराबंकी जिला वैसे काला सोना अफीम की खेती के लिए मशहूर हुआ करता था. लेकिन कुछ सालों से यहां बड़े पैमाने पर सब्जियों व फलों की खेती खूब होने लगी है. क्योंकि पारंपरिक तौर पर होने वाली खेती से हटकर आमदनी वाली फसलों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. वहीं जिले के किसान कम मेहनत कम लागत वाली फसलों का जबरदस्त उत्पादन कर खेती किसानी में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं जनपद के प्रगतिशील किसान चार बीघे में लौकी, शिमला मिर्च आदि की खेती से लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं.
जनपद बाराबंकी के सेरया गांव के रहने वाले किसान का पढ़ाई में मन नहीं लगा तो उसने अपना पुश्तैनी काम छोड़ खेती बाड़ी की तरफ रुख किया. करीब तीन साल पहले सब्जियों की खेती की शुरुआत की, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. आज वह करीब चार बीघे में दो तरह की लौकी की खेती कर रहे हैं. जिसमें उन्हें प्रतिवर्ष दो से तीन लाख रुपए का मुनाफा मिल रहा है.
लौकी की खेती में बदल गई किसान की किस्मत
किसान रामचंदर ने बताया कि पहले हम परंपरागत धान, गेहूं, सरसों आदि की खेती करते थे, पर उसमें कोई खास मुनाफा नहीं हो पाता था. फिर हमने आधुनिक खेती की तरफ रुख किया. जिसमें शिमला मिर्च, लौकी, करेला आदि सब्जियों की खेती दो बीघे में की. उसमें हमें अच्छा लाभ देखने को मिला. आज हम करीब चार बीघे में दो प्रकार की लौकी की खेती कर रहे हैं और हम इन सब्जियों में जैविक खाद का उपयोग करते हैं. इस खेती में लागत करीब एक बीघे में 10 से 15 हजार रुपये आती है और मुनाफा पांच बीघे में तीन लाख रुपये तक हो जाता है.इसमें कम खर्च और कम मेहनत में मुनाफा ज्यादा हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : March 5, 2024, 08:30 IST