अभिलाष मिश्रा/ इंदौर: दिवाली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया. रोशनी के पर्व पर शहर से लेकर गांव तक गुलजार रहे. देर शाम से शुरू हुआ आतिशबाजी का दौर रात भर जारी रहा है. लेकिन, खुशियों के बीच एक परिवार के लिए रविवार का दिन मातम भरा रहा. इस परिवार का इकलौता चिराग पांच दिनों के दीपोत्सव के दौरान हमेशा के लिए बुझ गया. दबे पांव आई मौत उसे इस तरह छीनकर ले गई कि किसी को संभलने का मौका भी नहीं मिला.
जिसने भी इस हादसे के बारे में सुना उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. यह दिल दहला देने वाला मामला मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर का है. यहां दिवाली के ठीक पहले तीन साल का मासूम सार्थक मौत से जंग हार गया. बारूद से हुए धमाके में बुरी तरह झुलसने के बाद उसे एमवाय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था. यहां डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका.
हैरान करने वाला हादसा
तीन साल के सार्थक के माता-पिता के बीच रिश्ते ठीक नहीं थे. पारिवारिक विवाद के कारण उसके पिता ने मासूम और उसकी मां को ससुराल में छोड़ दिया था. दिवाली पूजन के पहले साफ-सफाई के दौरान घर में काफी कचरा इकठ्ठा हो गया था. इस कचरे के ढेर में सार्थक के नाना ने जलाने के लिए आग लगा दी थी. सार्थक भी खेलते-खेलते जलते हुए कचरे के पास पहुंच गया. इस दौरान अचानक धमाका हो गया. धमाके की चपेट में आने से सार्थक बुरी तरह झुलस गया था. उसे इलाज के लिए एमवाय अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां उसने दम तोड़ दिया.
घर के ‘बारूद’ ने बुझाया चिराग
दरअसल, सार्थक के नाना ने अपने एक रिश्तेदार को मकान का एक हिस्सा इस्तेमाल करने के लिए दिया था. वह रिश्तेदार पटाखे बनाने का काम करता था. कुछ दिन पहले उसने मकान खाली कर दिया था. दिवाली के मौके पर उसके घर में रखे कचरे को भी सार्थक के नाना जला रहे थे. संभवतः कचरे के ढेर में पटाखे बनाने के दौरान छूट गया बारूद भी था, जिसे जलाते वक्त धमाका हो गया.
इकलौता बेटा था सार्थक
सार्थक अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था. उसकी मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है. बताया जा रहा है कि उसकी मां का बुरा हाल है. पहले ही पति के साथ रिश्ते अच्छे नहीं थे और अब उसका कलेजे का टुकड़ा भी उसे छोड़कर चला गया.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2023, 15:41 IST