मोहन प्रकाश/ सुपौल:- सरकारी अस्पतालों की बदहाली और कर्मियों की लापरवाही की खबरें रोजाना सुर्खियों में रहती हैं. कभी-कभी कुछ ऐसी खबरें भी आ जाती हैं, जो लोगों की जान बचाने से जुड़ी होती हैं. ऐसी ही एक खबर सुपौल सदर अस्पताल से आई है. दरअसल सुपौल सदर अस्पताल के डॉक्टर, ब्लड बैंक प्रभारी और स्वास्थ्य कर्मियों ने पहली बार दो दिन की नवजात बच्ची का सफलतापूर्वक ब्लड एक्सचेंज किया है. इसे लेकर सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार बताते हैं कि मेरे समझ से पूरे राज्य में किसी भी सदर अस्पताल में पहली बार इस तरह का ऑपरेशन किया गया है. मेडिकल कॉलेज में अब यह ऑपरेशन होने लगा है.
आरएस इनकंपैक्टिविटी से ग्रसित थी बच्ची
सहरसा जिले के नवहट्टा वार्ड-7 पासवान टोला निवासी नटवर कुमार की 22 वर्षीय पत्नी राजकुमारी देवी ने दो दिन पहले एक बच्ची को जन्म दिया था. डॉ. विनय कुमार बताते हैं किनर्सिंग होम में सिजेरियन ऑपरेशन के बाद जन्मी बच्ची पीलिया से ग्रसित थी. इस कारण उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. इसके बाद शनिवार को बच्ची को ओपीडी में देखने के बाद तुरंत एसएनसीयू में भर्ती किया गया. उन्होंने बताया कि जांच करने पर पता चला कि उसकी मां का ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव है, जबकि बच्ची का ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है. बच्ची का 24 घंटे में बिलरूविन 22.8 एमजी था और उसका वजन 2.2 किग्रा था. भर्ती करने के समय बच्ची का हिमोग्लोबिन 7.6 ग्राम था. हम लाेग इसे आरएस इनकंपैक्टिविटी कहते हैं.
दो दिन की बच्ची काे था 23 परसेंट जॉन्डिस
डॉक्टर ने आगे बताया कि बच्ची का जॉन्डिस 23 प्रतिशत था. इसलिए उसे रेफर नहीं कर सकते थे, क्योंकि हायर सेंटर जाते-जाते उसकी जान चली जाती. अगर बच्ची जीवित बच भी जाती, तो जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाती. इसलिए हम लोग खुद उसका इलाज करने की व्यवस्था में जुट गए. इसके लिए दो यूनिट ओ निगेटिव खून की जरूरत थी. यह ब्लड ग्रुप बहुत रेयर है और बच्ची के साथ कोई डोनर भी नहीं था. लिहाजा हम लोगों ने ब्लड बैंक प्रभारी चंदन ठाकुर के सहयोग से खुद पहल करते हुए सामाजिक संस्था कोसी रक्तवीर संगठन के माध्यम से दो यूनिट ब्लड का इंतजाम किया. इसके बाद बच्ची का पूरा खून बदला गया. फिलहाल बच्ची स्वस्थ है और हम लाेगों की निगरानी में है.
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FIRST PUBLISHED : January 22, 2024, 11:01 IST