देसी घी की जलेबी खाने के लिए यहां लगती लाइन, स्वाद ऐसा कि रोजाना 50 किलो खा जाते हैं लोग 

धीरज कुमार/किशनगंज.आपने हर तरह की जलेबी खाई होगी. क्रंची जलेबी, छोटी जलेबी, बनारसी जलेबी लेकिन आज आपको हम एक ऐसी जलेबी के बारे में बताने जा रहे हैं जो शुद्ध देसी घी में छानी जाती है. किशनगंज से मात्र 5 किलोमीटर दूर गाछपाड़ा में विरेन्द्र शाह की जलेबी की चर्चा हर ओर हो रही है. घी वाली जलेबी की नाम से मशहूर वीरेन्द्र 25 सालों से गाछपाड़ा के चौक पर जलेबी बेचते हैं. वीरेन्द्र की जलेबी की खासियत ये है कि ये घी में छानते हैं. जिससे लोग जलेबी की खूशबू से दूर से ही आकर्षित हो जाते हैं.

Local-18 से बात करते हुए विरेन्द्र शाह ने बताया कि हम 25 सालों से किशनगंज के गाछपाड़ा में जलेबी बेचते हैं. जो कि हमारा पार्ट टाइम व्यापार हैं. दिन में होटलों और रात में पार्टी में हलवाई का काम करते हैं. इससे समय निकालकर दिन में प्रतिदिन दोपहर के 2 बजे से रात के तकरीबन 9 बजे तक जलेबी का ठेला लगाते हैं. वहीं अगर खपत की बात करे तो प्रतिदिन 20 केजी मेदा आसानी खत्म जाती है. जिसमें 50 केजी जलेबी निकाल लेते हैं. मुनाफे की बात करें तो प्रतिदिन 2 हजार रुपये आसानी से कमा लेते हैं पार्ट टाइम में ये जलेबी का व्यापार काफी बेहतर हैं.

घी में छानी जाती है जलेबी
यहां की जलेबी की खासियत ये है कि इससे छानने में घी का इस्तेमाल किया जाता है. जो कि जलेबी को स्वादिष्ट बना देती है. और लोग दौड़े चले आते हैं. विरेन्द्र के ठेले पर जलेबी खाने दुकान का कोई नाम नहीं है लोगों ने प्यार से नाम दिया घी वाली जलेबी वाला. इनके यहां 120 रुपया केजी की दर से जलेबी मिल जाएगी.

जलेबी के साथ कचौड़ी और प्याजी भी
जलेबी की यह दुकान किशनगंज शहर से 5 किलोमीटर दूर गाछपाड़ा चौक पर स्थित है. दुकान का कोई नाम नहीं है. गाछपाड़ा चौक पर ठेले पर विरेन्द्र 25 सालों से यहां जलेबी बेच रहे है. यहां गरमागरम जलेबी के साथ-साथ कचौड़ी और प्याजी भी छानी जाती है.दुकानदार विरेन्द्र शाह ने बताया कि जलेबी को छानने में देसी गाय के शुद्ध घी का इस्तेमाल करते हैं. जिससे घी का स्वाद काफी बढ़ जाता है. गांव-देहात से लेकर किशनगंज शहर के लोग भी यहां पहुंचकर घी वाली जलेबी का लुत्फ उठा रहे हैं और जमकर प्यार बरसा रहे हैं.

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FIRST PUBLISHED : September 09, 2023, 12:27 IST

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