देश में 5, तो विदेश में 5000 रुपए किलो, बेशकीमती है राजस्थान की ये मिट्टी

रिपोर्ट – मनमोहन सेजू

बाड़मेर. राजस्थान की माटी से उपजे रणबांकुरों की कहानियां तो आपने सुनी ही होंगी. आपको हैरत होगी कि मरुधरा की मिट्टी भी बेशकीमती है. जी हां, आम बोलचाल में तो लोग यहां तक कहते हैं कि राजस्थान की मिट्टी सोना उगलती है, बस मेहनत करने वाला होना चाहिए. बहरहाल, हम बात कर रहे हैं भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर जिले की, जहां की खदानों से निकली मिट्टी देश से लेकर विदेशों तक मशहूर है. नाम आपने भी सुना होगा…, मुल्तानी मिट्टी.

भारत के प्राचीन शास्त्रों में सौंदर्य प्रसाधन के रूप में मुल्तानी मिट्टी के इस्तेमाल का उल्लेख मिलता है. खासकर राजघरानों की रानी-महारानियां रूप निखारने के लिए मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाती थीं. प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन के तौर पर मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल न सिर्फ चेहरे के लिए अच्छा है, बल्कि इसका प्रयोग रेशम जैसे बालों के लिए भी किया जाता रहा है. गांवों-कस्बों से लेकर शहरों-महानगरों तक इसी वजह से मुल्तानी मिट्टी की मांग है. कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों के लिए तो मुल्तानी मिट्टी सबसे सुलभ रॉ-मटीरियल है.

बाड़मेर में मुल्तानी मिट्टी की खदान

  • कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों का यही रॉ-मटीरियल, यानी मुल्तानी मिट्टी राजस्थान में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है.
  • प्रदेश के पश्चिमी इलाके बाड़मेर, जैसलमेर में मुल्तानी मिट्टी की खदानें हैं. यहां के स्थानीय लोग इसके खनन कारोबार से जुड़े हैं.
  • बाड़मेर जिले के भाड़खा, कपूरडी, सोनड़ी, अभयपुरा, बोथिया, निम्बला और गिरल में मुल्तानी मिट्टी का खनन किया जाता है.
  • खनन के बाद इसे अलग-अलग फैक्ट्रियों में भेजा जाता है, जहां से पैकेजिंग के बाद इसे देश के अलग-अलग राज्यों और विदेशों तक भेजा जाता है.
  • राजस्थान में पाई जाने वाली मुल्तानी मिट्टी की सप्लाई गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश सहित देश के दर्जनभर से ज्यादा राज्यों में की जाती है.
  • मुल्तानी मिट्टी से विभिन्न प्रकार के सौंदर्य उत्पाद, कॉस्मेटिक क्रीम और मेडिसिन बनाए जाते हैं. साबुन बनाने में इसका सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है.
  • इसके अलावा इसका उपयोग बोरवेल, ऑयल वेलपेड और विभिन्न उद्योगों में भी किया जाता है.

सालाना 20 हजार टन का उत्पादन
भारत-पाकिस्तान की सीमा पर स्थित बाड़मेर के आधा दर्जन गांवों में मुल्तानी मिट्टी की खदानें हैं. इन खदानों से सालाना करीबन 20 हजार मीट्रिक टन मुल्तानी मिट्टी निकाली जा रही है. यहां से इसकी सप्लाई राजस्थान के अलावा देश के अन्य राज्यों और विदेशों तक होती है. बाड़मेर में मिलने वाली मुल्तानी मिट्टी की कीमत खदान से निकालने के बाद महज 5 रुपये प्रति किलो है, जबकि फैक्ट्रियों से पैकेजिंग के बाद यह 10 रुपये से 50 रुपये प्रति किलो तक बाजार में मिलती है. स्थानीय कारोबारियों के अनुसार विदेशों में मुल्तानी मिट्टी 5000 रुपये प्रति किलो तक बिकती है.

मजदूरों ने बयां किया अपना दर्द
मुल्तानी मिट्टी के खनन कारोबार से जुड़े मजदूरों ने बताया कि देश से लेकर विदेश तक राजस्थान की जिस मिट्टी की कद्र की जाती है, उसके खनन से जुड़े मजदूर मुफलिसी में जीवन जी रहे हैं. मुल्तानी मिट्टी का काम करने वाले बाड़मेर के मीठा खान भाड़खा ने न्यूज 18 के संवाददाता को बताया कि खदान से निकलने के बाद मुल्तानी मिट्टी की कीमत बढ़ जाती है, लेकिन उन लोगों को मुनासिब कमाई नहीं होता. रोजाना खनन के बाद ये मजदूर गुजर-बसर लायक कमाई ही कर पाते हैं.

Tags: Health, Local18, Rajasthan news

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