देश में हो रहे कम पर यहां बढ़ रहा गिद्धों का कुनबा, नौरादेही में 7 प्रजातियां

अनुज गौतम/सागर: अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे गिद्धों की प्रजातियों को बुंदेलखंड और यहां का वातावरण काफी रास आ रहा है. यही वजह है कि बुंदेलखंड के जंगलों में गिद्धों का कुनबा बढ़ रहा है. वहीं, बात अगर सागर के नौरादेही टाइगर रिजर्व की जाए तो यहां पर सात प्रजाति के गिद्ध हैं, जिसमें चार इंडियन वल्चर तो तीन हिमालयन गिद्ध हैं.

पिछले साल हुए सर्वे में यह गिद्धों के लिए सबसे बड़ा आशियाना साबित हुआ था. वहीं गिद्धों की संख्या में और बढ़ोतरी हो सके, इसके लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा योजनाएं बनाई जा रही हैं. क्योंकि, कोच पहाड़ी सहित टाइगर रिजर्व में गिद्धों के 84 घोंसले मिले हैं, यानी अब गिद्ध अपनी संतति को बढ़ाने के लिए टाइगर रिजर्व को बसेरा बना रहे हैं.

प्रदेश में गिद्धों की 3 प्रजातियां संकटग्रस्त
देश में गिद्धों की 9 प्रजातियां पाई जाति हैं, इनमें से 7 प्रजातियां नौरादेही टाइगर रिजर्व में मिलती हैं. इनमें से इंडियन वल्चर (लॉ बिल्ड वल्चर), व्हाइट रंप्ड वल्चर (व्हाइट-बैक्ड वल्च) और किंग वल्चर या रेड हेडेड वल्चर, सिनेरियस वल्चर, हिमालयन ग्रिफॉ (यूरेशियन ग्रिफॉन) और इजिप्शियन वल्चर की प्रजाति है.

गिद्धों के भोजन की करेंगे व्यवस्था
नौरादेही टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर एए अंसारी ने बताया कि टाइगर रिजर्व में अच्छी संख्या में गिद्ध देखने को मिल रहे हैं. यह हमारे लिए सुखद है. यहां का वातावरण गिद्धों के लिए काफी अनुकूल है. पिछली बार हुए आखिरी सर्वे में यहां पर 84 घोसले गिद्धों के पाए गए थे. विलुप्त की कगार पर पहुंचे इन पक्षियों को बचाने के लिए अब वन प्रबंधन भी लगा है. वहीं इसके लिए एक अलग से जगह सुनिश्चित कर रहे हैं, जहां पर फेंसिंग करेंगे. ग्रामीण क्षेत्रों में जो पशु मर जाते हैं, उनसे लेकर इस जगह पर डाल देंगे, ताकि गिद्धों को भोजन मिलता रहे. इसके अलावा और भी अन्य योजनाओं पर काम कर रहे हैं कि कैसे गिद्धों का आशियाना यहां पर बना रहे.

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