देश के सबसे बड़े हॉस्पिटल AIIMS ने सर्जरी को लेकर बनाया बड़ा रिकॉर्ड, आंकड़े कर देंगे हैरान

हाइलाइट्स

एम्स में सर्जरी में नया रिकॉर्ड बनाने के साथ ही डेथ रेट और इन्फेक्शन रेट में भी भारी कमी आई है.
2020-21 में एम्स में सिर्फ 15,42,854 मरीजों को ही ओपीडीमें इलाज मिल पाया था.

AIIMS NEWS: कोरोना महामारी के बाद इलाज के मामले में एम्स फिर से अपने पुराने लेवल तक पहुंच गया है. कोरोना के बाद इस लेवल में थोड़ा ब्रेक लग गया था, जो दोबारा से उसी मुक़ाम पर पहुंच गया है. देश के सबसे बड़े अस्पताल AIIMS ने सर्जरी को लेकर एक बड़ा रिकॉर्ड बना लिया है और सिर्फ़ इतना ही नहीं डेथ रेट और इन्फेक्शन रेट में भी काफ़ी कमी देखी गई है. कोरोना काल के बाद इलाज, सर्जरी और एडमिशन में एम्स पर काफ़ी प्रभाव पड़ा था, जिसके चलते सर्जरी काफ़ी कम हुई थी, लेकिन इस साल इलाज के मामले में एम्स ने फिर से अपना पुराने लेवल हासिल कर लिया है.

क्या है इस साल का रिकॉर्ड
इस साल एम्स में ओपीडी में 42 लाख मरीजों का इलाज हुआ है और 2 लाख 48 हजार मरीज़ों की सर्जरी हुई है, जो एक साल में सबसे ज्यादा है और पहले के मुक़ाबले काफ़ी बेहतर है. इस बार सबसे राहत की बात यह है कि एम्स ने सिर्फ़ सर्जरी में नया रिकॉर्ड नहीं बनाया है, बल्कि डेथ रेट और इन्फेक्शन रेट में भी भारी कमी आई है. एम्स के लिए यह एक बड़ी कामयाबी है, जो मरीजों के लिए भी काफ़ी अच्छा है और उनके हित में है. आइए नजर डालते हैं एम्स के एडमिशन और सर्जरी के अभी के आकड़ों पर-

एम्स की मौजूदा स्थिति

  • ओपीडी में 42,55,801
  • एडमिशन 2,80,770
  • सर्जरी 2,48,826
  • एवरेज स्टे 9.9 दिन
  • एवरेज बेड ऑक्यूपेंसी 83.1 प्रतिशत
  • डेथ रेट 1.6 प्रतिशत
  • इन्फेक्शन रेट 7.1 प्रतिशत

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कोरोना के बाद मरीजों का इलाज हुआ बेहतर
देश में मार्च के बाद से कोरोना के कारण धीरे-धीरे एडमिशन से लेकर सर्जरी तक के आकड़े गिरने लगे थे और आंकड़ों में काफ़ी गिरावट देखने को मिली थी. 2020-21 में एम्स में सिर्फ 15,42,854 मरीजों को ही ओपीडी में इलाज मिल पाया था और एडमिशन संख्या भी काफ़ी कम थी. इसका असर सर्जरी पर भी पड़ा था और सिर्फ 72,737 की सर्जरी हुई थी. एम्स में पिछले साल 2021-22 की तुलना में काफी सुधार हुआ है और यह सुधार सिर्फ़ सर्जरी में ही नहीं, बल्कि मरीजों का इलाज भी बेहतर हुआ है और मरीज़ों की संख्या भी बड़ी है. संक्रमण दर की बात करें तो 1.2 प्रतिशत की कमी बहुत बड़ी सफलता कही जा सकती है. एक साल के अंदर इतनी कमी हुई है, जिसकी वजह से डेथ रेट 2 प्रतिशत से कम होकर सीधे 1.6 प्रतिशत पर आ गया.

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