केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन अधिकारिता विभाग ने हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद में दिव्यांग एव विकलांग लोगों के लिए “दिव्य कला मेला” का आयोजन किया था। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से ८० से अधिक NGOने भाग लिया था । इस मेले मे दिव्यांग लोग द्वारा निर्मित सामान बिक्री हेतु रखा गया था। ऑल इंडिया एमएसएमई फेडरेशन के अध्यक्ष और विकलांग सहायक केंद्र के पेट्रन चेरमेन श्री मगनभाई पटेल ने इन विभिन्न स्टालों का दौरा किया और केंद्र सरकार को बधाई देते हुए एक अखबारी निवेदन मे कहा कि भारत सरकार का सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय देश के विभिन्न राज्यों में विकलांग एव दिव्यांग लोगो के लिए लगातार रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम कर रहा है जो बहुत ही सराहनीय बात है।
आज २०११ की जनगणना के अनुसार देश में विकलांग व्यक्तियों की संख्या २.६८ करोड़ है,जो देश की कुल जनसंख्या का २.२१ प्रतिशत है। आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम २०१६ के अनुसार आज देश में दृष्टि हानि, श्रवण हानि, भाषा हानि, बौद्धिक विकलांगता, सेरेब्रल पाल्सी इत्यादि जैसी २१ प्रकार की विकलांगताएं हैं। भारत सरकार के इस विभाग का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ पुनर्वास की सुविधा प्रदान करना है।
ऑल इंडिया MSME फेडरेशन के अध्यक्ष और विकलांग सहायक केंद्र के पेट्रन चेरमेन श्री मगनभाई पटेलने व्यक्तिगत रूप से इन सभी NGO के स्टालों का दौरा किया,उनके साथ बैठक की और विकलांगों द्वारा निर्मित उत्पादों के विपणन के संबंध में उपयोगी मार्गदर्शन और सुझाव दिए। उन्होंने देश के विकलांग लोगो के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी साथ ही साथ इस अवसर पर केंद्र सरकार को आवश्यक सुझाव दिए जिनमें मुख्य रूप से :
1) जब देश में चुनाव, जनगणना, प्राकृतिक आपदा जैसे हालात हों, तब इस क्षेत्र को पर्याप्त न्याय नहीं मिल पाता, तब सरकार को विभिन्न NGOs और समाज के प्रमुख व्यक्तियों एव संगठनों को इस विषय में सूचित करना चाहिए और उन्हें आर्थिक एवं सामाजिक रूप से विकलांगों की मदद करने के लिए आग्रह करना चाहिए।
2) आज देश में कई एनजीओ काम कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग उनका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए सरकार को ऐसे एनजीओ पर ध्यान देना चाहिए और देश के विकलांग लोगों के हित में उनके पारदर्शी प्रशासन की उचित व्यवस्था करनी चाहिए।
3) देश में कई NGOs के ट्रस्टी बोर्ड के सदस्य आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं, लेकिन वे कभी भी संस्थान का दौरा नहीं करते हैं, ऐसे ट्रस्ट बोर्ड के करीब २०% से ३० % ट्रस्ट बोर्ड के सदस्यों को सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए और नए युवा और सक्रिय ट्रस्टियों को नियुक्त करना चाहिए जो इस प्रकार के काम में रुचि रखते हो ।
4) यदि समाज के सक्रिय सेवानिवृत्त लोग इस क्षेत्र से जुड़ेंगे तो अधिक से अधिक संख्या में विकलांग लोगों को मदद मिलेगी एव सरकारी योजनाएं सही लोगों तक पहुंच सकेंगी और इस क्षेत्र के लोग सम्मान के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
श्री मगनभाई पटेल विकलांगों के लिए काम करने वाली संस्था मधुर सेवा विकास ट्रस्ट और दृष्टिहीन बहनों के लिए काम करने वाली संस्था महिला उत्कर्ष सेवा ट्रस्ट को कार्यालय किराया और अन्य खर्चों के लिए प्रति माह ४००० रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करके प्रोत्साहित करते हैं। ऐसी अन्य ३० से भी अधिक संस्थाए हैं जिन्हें श्री मगनभाई पटेल अपना वित्तीय सहयोग देने के साथ-साथ समाज के अन्य दानदाताओं से लगातार डोनेशन प्रदान करवाते है । इस क्षेत्र के लोगो के लिए काम करनेवाले NGOs एव व्यक्ति जो सरकारी योजना के लाभ हेतु फार्म भरने से लेकर सभी प्रक्रिया करते है उन्हें भी श्री मगनभाई पटेल आर्थिक रूप से मदद करके परिणामोन्मुखी कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं।
श्री मगनभाई पटेल की मुलाकात के दौरान श्री रेणुका येल्लामा आवासीय विद्यालय,केरल के हेडमास्टर श्री निगनगौड़ा के.जी. ने बताया कि हमारे विद्यालय में १ से १० वि कक्षा के करीब १४७ बधिर एवं दृष्टिहीन छात्र है जिनमे १३५ मूक-बधिर हैं जबकि १२ छात्र दृष्टिबाधित हैं।इन सभी छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण भी दिया जाता है जिसमें उन्हें सुपारी के पत्तों से प्लेट और कटोरी बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रत्येक छात्र प्रतिदिन करीब ४०० प्लेट बनाता है और बदले में संस्थान द्वारा उसे ०.५० /- प्रति प्लेट वजीफा दिया जाता है। इस तरह एक छात्र को रोजाना २०० रुपये से ज्यादा का वजीफा मिलता है। इन छात्रों द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को देश के विभिन्न स्थानों पर केंद्र सरकार द्वारा आयोजित प्रदर्शनी केंद्रों में बिक्री के लिए रखा जाता है। श्री निगनगौड़ा के.जी ने आगे बताया कि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद इन छात्रों को कर्नाटक राज्य में विभिन्न सुपारी के पत्ते के उत्पाद बनाने वाली कंपनियों द्वारा जॉब ऑफर की जाती है, जिनका मासिक वेतन लगभग २०,००० से २५,००० तक का रहता है। वर्ष २०२३-२४ में इस स्कूल के ६ छात्रों को नौकरियां मिली है।
श्री मगनभाई पटेलने उपरोक्त स्टॉल के अवलोकन करने के बाद अपने विचार व्यक्त किये और कहा कि हम सभी को इससे एक उदाहरण लेना होगा कि देश के हर राज्य में सामान्य व्यक्ति भी ऐसे विकलांग और दृष्टिहीन व्यक्तियों के साथ जुड़ते हैं तो बहुत परिणाम उन्मुख काम इस क्षेत्र में हो सकता है।
इसी तरह गुजरात के अहमदाबाद में मधुर सेवा विकास ट्रस्ट की प्रमुख श्रीमती मधुबेन श्रीमालीने कहा कि हमारी संस्था हर साल लगभग १००० विकलांग सदस्यों के लिए गरीब कल्याण मेला, विधवा पेंशन योजना और विभिन्न सरकारी फॉर्म भरवाने जैसे कार्यक्रम आयोजित करती है। अहमदाबाद के विभिन्न जिले मे सेमिनार आयोजित करके लगभग ३००० विकलांग लोगों को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के पूर्व सुपरिटेंडेंट डॉ.प्रभाकर साहब के हाथो से चिकित्सा प्रमाणपत्र एनायत किये गए ताकि सरकार की विभिन्न रोजगार उन्मुख योजनाओं का लाभ मिल सके। साथ ही साथ उन्होंने करीब ३०,००० लोगों को एस.टी बस पास प्रदान करने में भी मदद की है। इस संगठन को उनके सेवा कार्यों के लिए NGOs से प्रशंसा प्रमाणपत्र और पुरस्कार भी प्रदान किए गए हैं।
भारत सरकार का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय देश के विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजनों) के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान, रोजगार और व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ उनके पुनर्वास आदि के लिए लगातार काम कर रहा है।भारत सरकार की ११वीं पंचवर्षीय योजना में कहा गया है कि “सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के ‘विकलांगता विभाग’ को एक अलग विभाग में परिवर्तित करके मजबूत किया जाना चाहिए ताकि अन्य सभी संबंधित मंत्रालय/विभाग विकलांग व्यक्तियों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सकें और इसलिए ३ जनवरी, २०१२ को सरकार ने सामाजिक न्याय और विकलांग व्यक्तियों के अधिकारिता मंत्रालय का एक अलग विभाग बनाने का निर्णय लिया।
देश के दिव्यांगों और विकलांग व्यक्तियों को उनकी विभिन्न रोजगारोन्मुखी योजनाओं की जानकारी मिल सके इस हेतु केंद्र सरकारने देश के २० राज्यों में समेकित क्षेत्रीय कौशल विकास,पुनर्वास एव दिव्यांगजन सशक्तिकरण केन्द्र (सी.आर.सी) का गठन किया है, जहां विकलांग व्यक्तियों के लिए पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं। साथ ही विकलांग व्यवसाइयों के लिए धनराशि भी उपलब्ध कराई जाती है। समान सेवाओं के लिए NGOs और राष्ट्रीय विकलांग वित्त और विकास निगम (एन.एच.एफ.डी.सी) जो स्व-रोज़गार के लिए रियायती ब्याज दरों पर ऋण भी प्रदान करता है।
विकलांग सहायता केंद्र के प्रमुख श्री बाबूभाई साबूवालाने बताया की अहमदाबाद के वटवा क्षेत्र में विकलांग सहायक केंद्र जिनमे ४०० से भी अधिक विकलांग सदस्यों है इस संस्था की अनेक सेवाकिय प्रवृतिया जैसे की सर्व-धर्म सामूहिक विवाह, विश्व विकलांगता दिवस,विकलांगों के लिए उपकरण सहायता वितरण,विभिन्न त्योहारों के अवसर पर राशन किटों का वितरण जैसी सभी गतिविधियाँ उनकी अध्यक्षता में आयोजित की जाती हैं जिनमें वे मुख्य दानकर्ता के रूप में अपना वित्तीय सहयोग देते रहते हैं। श्री मगनभाई पटेल अन्य २० से अधिक संस्थाओं से जुड़कर सभी संस्थाओं के कार्यक्रमों का खर्च उठाते हैं और अन्य दानदाता से उपलब्ध भी कराते हैं।
देश के दिव्यांगजनों के लिए सहयोगी, दिशा, निर्मया, ज्ञानप्रभा, निरामय, समर्थ, प्रेरणा, समभाव, बढ़ते कदम जैसी कई योजनाएं हैं जिनका लाभ देश के दिव्यांगजनों को मिल सकता है। आज देश में कई ऐसी संस्थाएं हैं जो दिव्यांगों को रोजगार मुहैया करा सकती हैं। आज देश के दिव्यांगजनों को सशक्त, आत्मनिर्भर और रोजगारपरक बनाने के लिए प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने की विशेष आवश्यकता है। देश के दिव्यांगों में बहुत कला कौशल है, जिसे प्रोत्साहित कर रोजगार के लायक बनाना हम सभी का कर्तव्य है। आज जो काम एक सामान्य व्यक्ति कर सकता है, वही काम ये लोग भी कर सकते हैं जिसके अनगिनत उदाहरण आज हमारे पास है।