अनुज गौतम / सागर. कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को वर्ष भर की सबसे बड़ी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि चार महीने क्षीर सागर में रहने के बाद भगवान विष्णु इस दिन से जाग जाते हैं और सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते है. देवउठनी एकादशी पर अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग तरह से पूजन अर्चन किया जाता है ऐसे ही देवउठनी एकादशी पर कदम के पेड़ की पूजा करने का बड़ा महत्व है.
कदम के पेड़ में श्री कृष्ण का वास होता
पंडित शोभित शास्त्री महाराज बताते हैं कि कदंब या कदम का पेड़ भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय था. और कदम के पेड़ में श्री कृष्ण का वास होता है कदम के पेड़ को देवव्रत माना जाता है इसलिए इस पेड़ को साक्षात श्री कृष्ण मानकर पूजन करना चाहिए. खास तौर पर कार्तिक का व्रत करने वाली महिलाएं बड़ी ग्यारस के दिन कदंब के पेड़ के पास जाकर पूजन अर्चन करती हैं वहीं इसके अलावा कोई भी महिला सुख समृद्धि या सौभाग्यवती के लिय इस पेड़ का पूजन कर सकती हैं.
सिंदूर के लेप से सौभाग्यवती की प्राप्ति
शरद पूर्णिमा पर कदम के पेड़ के नीचे से भगवान श्री कृष्ण ने बांसुरी बजाई थी तो गोपियां दौड़ी दौड़ी चली आई थी और जब गोपियों को अभिमान हो गया था कि श्री कृष्णा उनके साथ गलबहियां कर रहे हैं.तब वह सखियों का अभिमान चूर करने के लिए अदृश्य हुए थे, तो फिर कदम के पेड़ पर ही बांसुरी बजाते हुए मिले थे. इसलिए एकादशी पर कदंब के पेड़ में अगर महिलाएं सिंदूर का लेप करती हैं तो उन्हें सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है, कदंब के पेड़ पर अगर इत्र का छिड़काव करते हैं तो हमारा जीवन भी सुगंधित पुष्प की तरह खिलता है, कदम के पेड़ के लिए मोतीचूर के लड्डू अर्पण करने पर माता महालक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है. वही सबसे पहले कदम के पेड़ के पास पहुंचकर उसको जल अर्पित करें चंदन पुष्प समर्पित करें अपने घर में जो एकादशी के पूजन के लिए सामग्री बनाई है वह भी वहां पर ले जाएं और विधिवत पूजन करें.
धागा लपेटने से होती है मन्नत पूरी
कदम के पेड़ से मन्नत मांगने के लिए हम उसमें धागा लपेटते हैं या रक्षा सूत्र और रेशम भी बांध सकते हैं और मन्नत पूरी होने पर हम उस धागे को खोल देते हैं और फिर दूसरा धागा लपेट सकते हैं कदंब के पेड़ का पूजन साक्षात भगवान श्री कृष्ण मानकर किया जाता है. और इसमें भगवान श्री कृष्ण का वास होता है.
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 11:19 IST