आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व में जानवरों की बढ़ती संख्या लोगों को रोमांचित कर रही है. जंगल सफारी के लिए प्रसिद्ध बिहार का यह एक मात्र टाइगर रिज़र्व, रॉयल बंगाल टाइगरके सबसे पुराने जीन के लिए भी मशहूर है. पर्यटन के लिए यहां आए पर्यटकों को अक्सर जंगली जानवरों का दीदार हो जाता है, लेकिन जो रोमांच जंगल के शहंशाह टाइगर को देखने में आता है, वो किसी और वन्य जीव में कहां. कुछ ऐसा ही बीते दिनों में हुआ है, जब वीटीआर के मंगुराहां रेंज में सफारी के लिए आए पर्यटकों को, मस्ती में घूमते हुए बाघ का दीदार हुआ.
दरअसल, बीते दिनों वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व के डिवीजन 01 के मंगुराहां रेंज में जंगल सफारी के लिए आए पर्यटकों ने एक वयस्क बाघ का दीदार किया. पर्यटकों की मानें तो, मंगुराहां रेंज में सफारी के रूट पर बेहद ही आकर्षक तथा पूरी तरह से वयस्क हो चुका बाघ धीमी चाल में घूमता नजर आया. उनका कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब उन्होंने एनिमल किंगडम के सबसे एपेक्स शिकारी जानवर को इतने क़रीब से देखा हो. हालांकि रोमांचित होने के बावजूद भी पर्यटकों ने ज़रा भी शोर शराबा नहीं किया, जिससे बाघ का ध्यान उनकी तरफ आकर्षित हो.
वीटीआर के इन रेंजों में है जानवरों का बसेरा
बता दें कि वीटीआर में सफारी के लिए आए पर्यटकों को अक्सर बाघों का दीदार नहीं होता है. ऐसे में उन्हें बेहद निराशा होती है. उन्हें ऐसा लगता है कि यहां बाघ हैं ही नहीं. लेकिन समझने वाली बात यह है कि बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों को देखने के लिए आपको वाल्मिकी टाइगर रिज़र्व के कुछ खास रेंजों का चयन करना होगा. इनमें डिवीजन 01 में आने वाला मंगुराहां, गोवर्धनां, राघिया तथा मानपुर शामिल हैं. ठीक इसी प्रकार डिवीजन 02 का मदनपुर, गनौली तथा चिउटाहां शामिल हैं. जहां तक बात वाल्मिकी नगर रेंज की है, तो यह बेशक एक बेहद ही घना तथा आकर्षक जंगल है, लेकिन इधर बाघ जैसे शिकारी जानवरों का रुख कम है.
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FIRST PUBLISHED : March 13, 2024, 10:39 IST