देखने में छोटा… खाने में खट्टा-मीठा, बुखार-पीलिया का दुश्मन है यह फल

अर्पित बड़कुल/दमोह: ग्रामीण इलाकों में आसानी से मिलने वाले रसीले मकोय आयुर्वेद में बेहद चमत्कारी माने जाते हैं. मकोय केवल मुंह का स्वाद ही नहीं बदलते बल्कि शरीर की कई बीमारियों को दूर करते हैं. मकोय के फल और पत्ते दोनों लाभकारी हैं. यह मकोय (Makoy) का पौधा धान, गेहूं, मक्का किसी भी खेत में पेड़ की छाव वाली जगह पर मिल जाता है. खासकर सर्दियों के मौसम में मकोय के पौधे उगते हैं. बिना किसी देखभाल के यह खरपतवार के रूप में निकलते हैं.

खाने में हल्का मीठा, स्वास्थ्य के लिए बेहद असरदार
बुंदेलखंड में इस मकोय को मकोरा बोला जाता है. यह आकार में छोटा और काले रंग का होता है, जो स्वाद में खट्टा-मीठा होता है. आयुर्वेद के अनुसार, मकोय के फल को खाने से बुखार, एक्जिमा, सांस संबंधी परेशानियां ठीक होती हैं. इसके फल कच्चे होने पर हरे और पकने पर पीले, लाल और बैंगनी रंग के होते हैं. बैंगनी मकोय खाने में मीठा होता है. यह दिखने में टमाटर की तरह होता है, पर आकार बहुत छोटा होता है. इसका पौधा दिखने में मिर्च के पौधे की तरह होता है, जो शरीर के विकारों को दूर करता है.

बस फल तोड़ो और धोकर खा लो
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. दीप्ति नामदेव ने बताया कि यह एक जंगली फल है. इसका सेवन करने से बुखार और पीलिया जैसी गंभीर बीमारी दूर भाग जाती है. इस फल में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी पाई जाती है. इसका इस्तेमाल एक्जिमा में भी किया जाता है. आज भी जंगलों में मकोय के पेड़ आसानी से मिल जाते हैं. ग्रामीण इलाकों की महिलाएं अक्सर बच्चों को खांसी, जुकाम हो जाने पर इसके फल को देती हैं. इस फल का सेवन पेड़ से तोड़कर धोने के बाद कर लेना चाहिए.

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