दूसरों के लिए जीना असल जिंदगी, लोगों की मदद कर रही यह संस्था

सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: अपने लिए तो हर कोई जीता है. लेकिन जो दूसरों के लिए जो जीता ही उसे ही असल में जिंदगी कहते हैं. लोगों की मदद करना, हर पल उनके साथ खड़ा रहना, इसको समर्पण कहते हैं. जब महिलाएं लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाती है तो उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. ऐसे ही शहर की कुछ महिलाएं है जो पिछले 12 सालों से जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहीं हैं. यह महिलाएं शाहजहांपुर शहर में समर्पण सेवा संस्था चल रही हैं.

समर्पण सेवा संस्था की संरक्षक डॉ संगीता मोहन ने बताया कि आज से 12 साल पहले 15 महिलाओं ने मिलकर समर्पण सेवा संस्था की शुरुआत की थी और मौजूदा हाल में उनके साथ करीब 25 से ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं. हमारे संगठन की का सिद्धांत है कि थिंक ग्लोबली एंड वर्क लोकली. हमारे आसपास से क्या घटित हो रहा है. यह जानना हम लोगों के लिए बहुत जरूरी है. हमारी संस्था से जुड़ी महिलाएं गांव में बसे लोगों और शहर की गरीब बस्तियों में जाकर लोगों से मुलाकात करती हैं और इस बात का पता लगाती हैं कि उनको किस तरह की समस्या आ रही है. या फिर उनको किस चीज की जरूरत है. साथ ही लोगों के घरों में काम काज करने आने वाली महिलाओं से बातचीत कर पता करते हैं कि उनके यहां किस तरह की समस्याएं हैं और फिर जरूरतमंद लोगों को चिन्हित कर उन तक मदद भी पहुंचाई जाती है.

महिलाओं को बना रही स्वावलंबी और सशक्त
डॉ. संगीता मोहन का कहना है कि संगठन का एक ही लक्ष्य है महिला स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता. इस लक्ष्य को पाने के लिए वह बहुत सी महिलाओं और बालिकाओं को चिन्हित कर उनको ब्यूटीशियन, मेहंदी लगाने और सिलाई करने का प्रशिक्षण भी दिलवाती हैं. जिसके बाद वह महिलाएं अपना कारोबार कर आर्थिक तौर पर सशक्त हो रही हैं.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ भी है उद्देश्य
संगीता मोहन ने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के बारे में भी लोगों को जागरुक करते हैं. बालिकाओं की शिक्षा पर उनका संगठन विशेष तौर पर जोर देता है. संगीता मोहन ने बताया कि ऐसी बच्चियों को चिन्हित करते हैं जो आर्थिक समस्या के चलते शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रही तो ऐसे में समर्पण सेवा संस्था बच्चियों की फीस जमा करने का काम करता है. निर्धन कन्याओं की शादी में भी उनको मदद करती हैं. ऐसे में संगठन से जुड़ी सभी महिलाएं थोड़ा-थोड़ा पैसा जमा कर निर्धन बालिकाओं की शादी में जरूरत के मुताबिक समान उपहार स्वरूप देते हैं.

नेपाल में भूकंप पीड़ितों को भी पंहुचाई मदद
डॉक्टर संगीता मोहन ने बताया कि नेपाल में जब भूकंप आया था उसे वक्त भी उनके संगठन में जुड़ी महिलाओं ने राशन, दवाएं और जरूरत का सामान इकट्ठा कर प्रशासन के जरिए नेपाल पहुंचाया था. इसके अलावा कोविड महामारी के दौरान उन्होंने लोगों को राशन, दवाएं, मास्क और सैनिटाइजर भी घर-घर पहुंचाया था. मौजूदा हाल में लोगों को सर्दी से बचाने के लिए जिला अस्पताल, रेलवे स्टेशन और सड़क किनारे रात बिताने वाले लोगों को गर्म कपड़े और कंबल वितरित कर रही हैं. इसके अलावा स्कूलों में जिन बच्चों को स्वेटर या गर्म कपड़ों की जरूरत है उन तक भी मदद पहुंचाई जा रही है.

Tags: Local18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *