रिपोर्ट-आशीष कुमार
पश्चिम चम्पारण. बिहार का पश्चिम चंपारण प्रवासी पंछियों से गुलजार है. यहां के सरैयामन पक्षी विहार में इस बार कई दुर्लभ पंछी भी दिख रहे हैं. सर्वे बता रहा है कि यहां की आबोहवा इन पंछियों के लिए बेहद अनुकूल है इसलिए यहां बड़ा केंद्र बनाया जा सकता है.
पश्चिम चंपारण जिले का सरैयामन पक्षी विहार प्रवासी पंछियों के लिए मशहूर है. हर साल साइबेरिया सहित अन्य ठंडे इलाकों से सर्दी शुरू होने से पहले ये पंछी मीलों का सफर तय कर यहां पहुंचने लगते हैं. और सर्दी खत्म होते ही अपने देश लौट जाते हैं. ये पक्षी विहार इस बार भी दर्जनों किस्म के पंछियों से गुलजार है. वैसे तो हर साल यहां सर्दियों में साइबेरियन पक्षी आते हैं. लेकिन हाल ही में हुए एक सर्वे में पता चला है कि इस बार कई अन्य प्रजाति के पक्षी भी यहां आए हैं. ये अच्छी खबर है.दुर्लभ देसी विदेशी पंछी देखने हैं तो यहां जरूर आएं, एक साथ मिलेंगी 45 प्रजाति की 3 हजार चिड़िया
सरैयामन में दुर्लभ पक्षी
खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर बेहद दुर्लभ हैं, जो देश के कुछ ही भागों में देखने मिलते हैं. इनमें गढ़वाल, दी ऑस्प्रे, लेजर विसलिंग डक, द ब्लैक कैप्ड किंगफिशर शामिल हैं. इन पक्षियों की चहचहाहट से ज़िले के बैरिया प्रखंड में स्थित उदयपुर वाइल्डलाइफ सोसायटी को राष्ट्रीय स्तर पर नयी पहचान मिली है.
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45 तरह के पक्षी एक जगह
बेतिया वन प्रमंडल के वनाधिकारी आतिश कुमार ने जानकारी दी कि जिले के चार क्षेत्रों में एशियन वॉटरबर्ड सेंसस 2024 किया गया. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहयोग से ये काम किया गया. इसमें उदयपुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी (सरैयामन पक्षी विहार ), गंडक का फ्लड प्लेन क्षेत्र, बगहा-2 प्रखंड का दरूवाबरी और मझौलिया प्रखंड का लाल सरैया शामिल था. इस सर्वे की शुरुआत 31 जनवरी से हुई, जिसे 3 फरवरी तक पूरा किया गया. सर्वे में पता चला कि इस क्षेत्र में पक्षियों की सबसे ज्यादा प्रजाति हैं और ये इलाका उनकी मुफीद है. खासतौर से गंडक इलाके की आबोहवा इन पंछियों के काफी अनुकूल पायी गयी. यहां प्रवासी और इनलैंड पक्षियों की करीब 45 प्रजातियां पाई गयीं. सरैयामन पक्षी विहार में भी ये डायवर्सिटी अच्छी है. यहां पक्षियों की करीब 26 प्रजातियां सर्वे में मिली हैं.
2200 से 3000 पक्षी
डीएफओ ने जानकारी दी कि जिले में पक्षियों की कुछ ऐसी भी प्रजातियों का भी पता चला है जो देश के गिने चुने राज्यों में ही पाये जाते हैं. इनमें साइबेरियन बर्ड्स, ब्लैक कैप्ड किंग फिशर, गढ़वाल, दी ऑस्प्रे, लेजर विसलिंग डक और कुछ अन्य प्रवासी पक्षी शामिल हैं. विशेष बात यह है कि यह क्षेत्र हिमालय की तराई में बसा है. इसलिए यहां हिमालयन पक्षी भी मिल रहे हैं. सर्वे के अनुसार, फिलहाल यहां के कुछ क्षेत्रों जैसे: सरैयामन पक्षी विहार, गंडक क्षेत्र, दरूवाबरी और लाल सरैया में 2200 से 3000 पक्षियों के होने का पता चला है जो पूरे राज्य के लिए गौरव की बात है.
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FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 13:06 IST