दुनियाभर में धूम मचाते भारतवंशी, इन देशों की संभाल रहे कमान, कौन हैं चीनी मूल के 2 विरोधियों को शिकस्त देने वाले सिंगापुर के नए राष्ट्रपति

शनमुगरत्नम ने परिणाम घोषित होने से पहले एक भाषण में कहा कि मेरा मानना ​​है कि यह सिंगापुर में विश्वास मत है। यह भविष्य के लिए आशावाद का वोट है जिसमें हम एक साथ प्रगति कर सकते हैं।

भारतीय मूल के एक व्यक्ति को सिंगापुर का राष्ट्रपति चुना गया। आधिकारिक परिणामों के अनुसार, प्रतिस्पर्धी चुनाव में थर्मन शनमुगरत्नम को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित किया गया। कुल वोटों का 70.4 प्रतिशत प्राप्त करने के बाद चुनाव विभाग ने अर्थशास्त्री को दो विरोधियों पर विजेता घोषित किया। वह निवर्तमान हलीमा याकूब का स्थान लेंगे, जिन्होंने 2017 में बिना किसी विरोध के छह साल का कार्यकाल जीता था। शनमुगरत्नम ने परिणाम घोषित होने से पहले एक भाषण में कहा कि मेरा मानना ​​है कि यह सिंगापुर में विश्वास मत है। यह भविष्य के लिए आशावाद का वोट है जिसमें हम एक साथ प्रगति कर सकते हैं। ऐसे में आइए आपको सिंगापुर को मिले भारतीय राष्ट्रपति शनमुगरत्नम के बारे में बताते हैं, जिन्होंने दो चीनी विरोधियों को शिकस्त दी। 

पीएम मोदी ने दी बधाई

चुनावी नतीजे जारी होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनमुगरत्नम को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मैं सिंगापुर और भारत के रिश्तों को बेहतर करने के लिए आपके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं। सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हसैन लूंग ने भी थर्मन को बधाई देते हुए कहा कि वो भारी सफलता से राष्ट्रपति पद के दायित्वों को पूरा करेंगे। वहीं हार से बौखलाए टेन किन लियान ने कहा कि सिंगापुर चुनाव की जगह पुराने तरीके लागू करें, जिसमें संसद ही राष्ट्रपति का चुनाव करती थी। दरअसल, सिंगापुर में 11 साल बाद राष्ट्रपति को चुनने के लिए लोगों ने मतदान किया है। भारत की तरह की सिंगापुर में भी राष्ट्रपति सेरेमोनियल पोस्ट होती है।

दुनिया में 7 देशों के प्रमुख भारतवंशी 

 ऋषि सुनक  ब्रिटेन के प्रधानमंत्री
 मोहम्मद इरफान अली  गुयाना के राष्ट्रपति
 एंटोनियो कोस्टा  पुर्तगाल के प्रधानमंत्री
 चान संतोखी  सुरीनाम के राष्ट्रपति
 प्रविंद जुगनौथ  मॉरीशस के प्रधानमंत्री
 पृथ्वीराज सिंह रूपण   मॉरीशस के राष्ट्रपति
 लियो वरडकर  आयरलैंड के प्रधानमंत्री

प्रारंभिक वर्ष और शिक्षा

 डेली ओ के मुताबिक, शनमुगरत्नम का जन्म 25 फरवरी 1957 को सिंगापुर में हुआ था। शनमुगरत्नम के दादा-दादी भारतीय अप्रवासी थे। उनकी जड़े भारत के राज्य तमिलनाडु से जुड़ी हैं। द इंडिपेंडेंट सिंगापुर के अनुसार, शनमुगरत्नम के पिता प्रोफेसर कनगरत्नम शनमुगरत्नम ने कैंसर अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल में प्रमुख योगदान दिया। शनमुगरत्नम तीन बच्चों में से एक हैं। वेबसाइट प्रेस्टीज ऑनलाइन के अनुसार, शनमुगरत्नम ने स्कूल में रहते हुए अपने सहपाठियों के साथ एक काव्य पुस्तक बट वी हैव नो लीजेंड्स का सह-लेखन किया। सिंगापुर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, शनमुगरत्नम ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। बाद में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त की, जहां उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें लूसियस एन लिटाउर फेलो नामित किया गया। शनमुगरत्नम का विवाह जेन युमिको इत्तोगी से हुआ है। इस जोड़े की शादी को तीन दशक हो गए हैं और उनके चार बच्चे हैं।

करियर और राजनीति

शनमुगरत्नम ने अपने पेशेवर करियर का अधिकांश हिस्सा सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण (एमएएस) द्वीप राज्य के केंद्रीय बैंक और वित्तीय नियामक में बिताया, जहां उन्होंने 2011 से अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 1990 के दशक में वह उस समय कानूनी पचड़े में फंस गए जब एक अखबार में आर्थिक आंकड़े जारी होने से पहले प्रकाशित होने के बाद आधिकारिक सूचना की गोपनीयता की रक्षा करने में विफल रहने के कारण उन पर जुर्माना लगाया गया। शनमुगरत्नम ने खुद को निर्दोष बताया था। वह 2001 में राजनीति में शामिल हुए। शनमुगरत्नम को पहली बार 2001 में जुरोंग समूह प्रतिनिधित्व निर्वाचन क्षेत्र (जुरोंग जीआरसी) में संसद सदस्य चुना गया था, जो अल्पसंख्यकों के उम्मीदवारों को शहर राज्य की मुख्य रूप से चीनी मूल की आबादी के सदस्यों के नेतृत्व वाले समूह में शामिल होने की अनुमति देता है। तब से वह चार बार इसी सीट से निर्वाचित हो चुके हैं। वो वित्त मंत्री और शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। 2015 में जब शनमुगरत्नम उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत थे, तब शनमुगरत्नम का नाम संभावित पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में सामने आता रहा था। उन्होंने शिक्षा और वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया है और 2011 से 2019 तक उप प्रधानमंत्री थे।

थर्मन तीसरे भारतवंशी राष्ट्रपति

थर्मन मतदान से राष्ट्रपति पद तक पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं। वहीं सिंगापुर में  भारतीय मूल के तीसरे राष्ट्रपति बने हैं। 1981 में संसद में चुने गए देवेन नायर राष्ट्रपति बने थे। एसआर नाथन 1999 से 2011 तक 11 साल तक राष्ट्रपति रहे। वे निर्विरोध चुने गए थे। 1991 के बाद से आम लोग वोटिंग से राष्ट्रपति चुनते हैं। 

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *