अभिनव कुमार/दरभंगा. दीपावली एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जिसमें लक्ष्मी पूजा का आयोजन होता है. सनातन धर्म में मान्यता है कि इस त्योहार में लक्ष्मी मां की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है. यह त्योहार कई विभिन्न रीतियों और आचरणों के साथ मनाया जाता है. इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है, जिसे खरीदारी का विशेष महत्व मिलता है. दीपावली के दो दिन बाद कुबेर भगवान की पूजा लक्ष्मी और गणेश के साथ की जाती है. यह पर्व दरिद्रता को घर से दूर करने के लिए भी आदर्श समय है. लक्ष्मी माता से विशेष वरदानों की मांग कर सकते हैं.
जानिए क्या है नियम
दिवाली के दिन घर की बड़ी महिलाएं सूप (डगरा) को सनठी से पिटती (बजाती) हैं. साथ में “दरिद्र घर से बाहर जाए और धनलक्ष्मी घर के अंदर आए” बोलती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में से दरिद्रता बाहर चली जाती है और धन-लक्ष्मी का आगमन घर के अंदर होता है. इसके अगले दिन सोमवती अमावस्या भी होती है.
दीपावली में किए गए नियम और सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त पर ज्योतिषाचार्य ने जानकारी दी. डॉ. कुणाल कुमार झा बताते हैं कि दिवाली के दिन ही काली आद्या और तारा द्वितीया दोनों महामाया की उत्पतियां हुई हैं. जो दरिद्रता निस्तारण हेतु कुल खानदान में दरिद्रता का प्रवेश नहीं हो, इसलिए रात्रि के शेष भाग में उदय से पूर्व घर की महिलाएं अपने कुल देवता के सानिध्य से सूप बजाना प्रारंभ करती हैं. पूरे घर के कोने में उस सूप को सनठी की लकड़ी से पिटती हुई कहती हैं दरिद्रता घर से बाहर जाए और धनलक्ष्मी घर के अंदर आए. ऐसा करने से दरिद्रता उस घर से बाहर हो जाती है. वहीं, अगले दिन सोमवती अमावस्या भी है जो 13 नवंबर को है. इस सोमवती व्रत का दिन में 2:51 के बाद का शुभ मुहूर्त है. जिसमें इसकी पूजन की जाएगी.
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FIRST PUBLISHED : November 9, 2023, 13:16 IST