बिट्टू सिहं/सरगुजाः मेरे सपनों की उड़ान आसमां तक है, मुझे बनानी अपनी पहचान आसमां तक है. मैं कैसे हार मान लूं और थक कर बैठ जाऊं,मेरे हौसलों की बुलंदी आसमां तक है. ठीक इसी कहावत को चरितार्थ कर रही है सरगुजा जिले के अंबिकापुर की दिव्यांग बेटी प्रिया. उसके पिता संजय अग्रवाल इन हौसलों को उड़ान दे रहे हैं. दरअसल, बिटिया का सपना शिक्षक बनना है और वो चल नहीं पाती हैं, इसलिए पिता भी बेटी के सपनों को सकार करने में जुटे हुए है.
जिले के अंबिकापुर शहर में स्थित घुटरापारा के रहने वाले संजय अग्रवाल के तीन बच्चे है, बड़ी बेटी प्रिया अग्रवाल जन्म से ही दिव्यांग है. उसके कमर से पैर तक का हिस्सा काम नहीं करता, जिसके चलते प्रिया खुद से चल और बैठ नहीं सकती और प्रिया 16 साल की है.
दिव्यांग प्रिया, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कक्षा 7 की छात्रा है, प्रिया शिक्षक बनना चाहती है, जिसके लिए इस रास्ते पर चलना इतना आसान नहीं है, लेकिन कहते हैं ना, अगर मन में कुछ करने की दृढ़ इच्छा है और रूकावट चाहे कितनी भी हो, वो रोक नहीं सकती है. क्योंकि अगर आपने किसी चीज को पाने का मन बना लिया तो रास्ता आसान हो जाता है. वैसा ही कुछ प्रिया के साथ है, क्योंकि इस संकल्प को पूरा कराने में पिता अपनी दो पहिया वाहन में कमर में गमछा बांधकर दिव्यांग बिटिया को स्कूल लाने और पहुंचाने का काम करते हैं.
बचपन से नहीं थी दिव्यांग
दिव्यांग बेटी के पिता ने बताया कि प्रिया जन्म के दौरान ठीक थी. लेकिन जैसे-जैसे बढ़ती गई कमर से निचे का हिस्सा कमजोर होता गया. इसके बावजूद प्रिया उनके दो बच्चों से पढ़ने में काफी तेज थी. बचपन से प्रिया को पढ़ने का शौक था. पिता ने कई स्कूलों में दाखिला कराने की कोशिश की लेकिन स्कूल वाले बेटी के दिव्यांगता को देख कर स्कूल में दाखिला नहीं देते थे. लेकिन, पिता ने हिम्मत नहीं हारी और आज बेटी 7वीं कक्षा में पढाई कर रही है. वहीं, बेटी के शिक्षक बनने के सपना को पूरा करने रोज बेटी को कमर में बांधकर स्कूल पहुंचाने का काम कर रहे हैं. बेटी के सपने को पूरा करने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
सभी बच्चों के लिए मिसाल हैं प्रिया
स्कूल के शिक्षक पिता के इस हौसले को सलाम करते हैं और प्रिया को अन्य पढ़ने वाले छात्रों के लिए मिशाल बता रहे हैं. शारीरिक रूप से कमजोर होते हुए भी पढाई करने का जजबा अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा का श्रोत है. वहीं, स्कूल की प्राचार्य ने बताया कि प्रिया स्कूल की होनहार छात्रा है. 6वी कक्षा में 70 प्रतिशत से अधिक अंक लाई है. छात्रों से लेकर शिक्षक प्रिया की हर संभव मदद करते हैं. हालांकि कई ऐसे छात्र हैं, जो गरीबी और संसाधन की कमी का हवाला देकर पढाई छोड़ देते हैं और अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं ऐसे छात्रों को प्रिया जैसी दिव्यांग छात्रा से प्रेरणा लेनी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : November 30, 2023, 06:01 IST