दिवाली होते ही खो गए कन्हैया, बाबरी होकर गोपियां घाट घाट पर करेंगी तलाश 

अनुज गौतम/सागर. चातुर्मास का आखिरी माह कार्तिक 29 अक्टूबर से शुरू हो चुका है, जो 27 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा तक चलेगा. इस पखवाड़े में दीवाली के बाद छठ व्रत, देवउठनी एकादशी जैसे पर्व हैं. इसके अलावा कई शुभ नक्षत्र भी रहेंगे. ऐसी मान्यता है कि इस माह में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं. इसी कारण स्नान-दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में इस माह में स्नान, दान के साथ भगवान विष्णु की पूजा का विधान बताया गया है.

ज्योतिषाचार्य राजेश्वरी पांडे के अनुसार, लौकिक परंपराओं के अनुसार सखियों के भाव से भगवान दीवाली के दूसरे दिन, सातवें दिन या नवमी के दिन खो जाते हैं. अर्थात अदृश्य हो जाते हैं. जिनकी खोज में व्रतधारी महिलाएं गोपियां बनकर मौन व्रत धारण कर लेती हैं और भगवान को तीर्थ स्थानों के घाटों व जलाशयों में तलाशती हैं. बावरी गोपियों का ऐसा प्रेम भाव होता है कि जहां भी देखती हैं, दूर से तो नजर आते हैं परंतु जैसे ही उस स्थान के पास पहुंचती हैं तो भगवान अदृश्य हो जाते हैं. एकादशी पर भगवान अपने भक्तों को दर्शन देते हैं, अर्थात मिल जाते हैं. तब उनका माता तुलसी से एकादशी पर विवाह संपन्न कराया जाता है.

कार्तिक व्रत से सभी तीर्थ स्थान की यात्रा का फल
पं. चतुर्भुज पांडे ने बताया कि कार्तिक में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से सभी तीर्थ स्थान की यात्रा करने का फल मिलता है. इस माह में दीपदान का विशेष महत्व है. किसी भी धर्म स्थान पर जाकर दान करने से यश और वैभव में वृद्धि होने की मान्यता है. कार्तिक मास में भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी के पूजन का भी विशेष महत्व है. उन्होंने बताया कि श्री देव भूतेश्वर मंदिर स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर में पूरे माह सुबह दीपदान एवं कार्तिक की कथा सुनाई जा रही है.

इस माह में किए गए दान कर्म से अक्षय पुण्य की प्राप्ति
पं. शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि कार्तिक मास में किए गए दान एवं श्रेष्ठ कर्म से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. स्कंद पुराण के अनुसार दानों में श्रेष्ठ कन्यादान है. इससे बड़ा विद्या दान, विद्यादान से बड़ा गोदान, गोदान से बड़ा अन्न दान माना गया हैअपने सामर्थ्य अनुसार धन, वस्त्र, कंबल, रजाई, जूता, गद्दा, छाता व किसी भी वस्तु का दान करना चाहिए कार्तिक में केला और आंवले के फल का दान करना भी श्रेयस्कर माना गया है.

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