दिवाली में उल्का भ्रमण का है विशेष महत्व! मां लक्ष्मी के साथ पितर भी होंगे खुश

अभिनव कुमार/दरभंगा. दीपावली का त्योहार प्रकाश पर्व का त्योहार माना जाता है. मानता है कि इस दिन घर को रोशन करने से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन-धन के साथ उन्नति का आशीर्वाद देती है. लेकिन क्या आपको पता है कि दीपावली में पूर्वजों को भी खुश किया जा सकता है. उनकी पूजा करने से हमारे घरों में खूब तरक्की होती है. साथी उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इस पर विशेष जानकारी ज्योतिषाचार्य डॉक्टर कुणाल कुमार ने दी. इसको करके आप अपने पूर्वजों से आशीर्वाद प्राप्त कर खूब तरक्की करेंगे.

डॉ कुणाल कुमार कहते हैं कि इस पर्व में मिथिलांचल, सीमांचल और अंग प्रदेश में उल्का भ्रमण का विशेष महत्व है. इस दिन खर (एक प्रकार का लम्बा घास) से उसका का निर्माण किया जाता है. गोसाई घर स्थित लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा के पास जल रहे दीप से प्रज्वलित की जाती है. उस उल्का को पूरे घर धुएं दिखाने के बाद बाहर गाड़ दिया जाता है. इसके पीछे धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो ऐसा करने से धन्य धन्य की प्राप्ति होती है, साथ में पूर्वजों की आत्मा को भी स्वर्ग प्रताप प्राप्त होता है .

जानिए क्या है समय
ज्योतिषाचार्य डॉ. कुणाल कुमार झा बताते हैं कि दीपावली देवी और देवताओं की आराधना करने की तिथि है. खास करके यह पितरों के लिए तिथि मानी गई है. क्योंकि अमावस्या है और उस दिन पितृपक्ष है. जो हम लोग पितृ पक्ष में पूजा करते हैं उसका विसर्जन किया जाता है. जिसको मान लीजिए कोई तिथि का ज्ञात नहीं है, वह इस दिन अपना पितर का श्राद्ध कर्म करते हैं. जिससे कि उनकी आत्मा को तृप्तियां मिलती है. हमलोगों के यहां मिथिलांचल में उल्का भ्रमण का विशेष महत्व है. वह प्रदोष समय में इस बार 7:00 बजे के बाद रात्रि प्रजनन लक्ष्मी पूजन और उल्का भ्रमण और इस उल्का को लेकर पितृ विसर्जन किया जाता है. पितर को प्रकाश देकर विसर्जित किया जाता है.

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FIRST PUBLISHED : November 10, 2023, 18:47 IST

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