दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम. हिंदु धर्म में दीपावली पर्व पर घरों एवं दुकानों को केले के पेड़ से सजाने की अनोखी परंपरा है. इस दिन घरों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ केले के पेड़ लगाए जाते हैं. इनमें फूल एवं मालाओं से सजावट की जाती है. केले के पेड़ के तोरण ,से घर और दुकान को सजाने की परंपरा है. हमारे हिंदू धर्म में केले के तोरण, बांस के खंबे आदि में भी आम की पत्तियां लगाने की परंपरा है. दरअसल, भारतीय संस्कृति में केले एवं आम के पेड़ की लकड़ियों का उपयोग समिधा के रूप में वैदिक काल से ही किया जा रहा है.
ज्योतिषाचार्य पं अविनाश मिश्रा कहते हैं कि केले के पेड़ में भगवान नारायण का वास होता है. शास्त्रों एवं पुराणों में केले के पेड़ एवं पत्तों का विशेष महत्व है. इसके साथ ही कथा पूजन में भी केले के पत्ते सजाए जाते हैं. भगवान श्री सत्यनारायण कथा में भी केले के पत्तों के मंडप बनाए जाते हैं. हम जानते है कि दक्षिण भारत में भी केले के पत्ते पर भोजन करने की प्रथा है. गुरुवार के व्रत में भी भगवान विष्णु को केले का भोग लगाया जाता है. इस दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है. इस व्रत में केले की पूजा की जाती है. केले के पत्ते एवं पेड़ों को प्राचीन समय से ही पूज्य एवं पवित्र माना गया है. केले के फल, तने एवं पत्तों को हमारे पूजा विधान में अनेक तरह से उपयोग किया जाता है. मान्यता है कि केले के पेड़ में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है.
जानें अनूठी परंपरा
पं अविनाश मिश्रा ने बताया कि केले के पेड़ दीपावली पर लगाने की कहीं ओर परंपरा नहीं है. इस तरह यहां दीपावली पर केले के तोरण लगाने की परंपरा अपने आप में अनूठी मानी जाती है. दीपावली पर लक्ष्मी गणेशजी के पूजन में फूल माला एवं केले के पत्ते से सजावट की जाती है. केले के पत्ते एवं फूल मालाओं से हम अपने घर एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान की सजावट करते हैं. सामान्य रूप से पूजा एवं मांगलिक कार्य में अब तकरीबन सभी लोग केले के पत्ते का तोरण बनाते हैं, जो शुभता का प्रतीक माना जाता है. इस लिए सभी शुभ कार्य या नए घर, प्रतिष्ठान सभी में तोरण लगाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2023, 11:42 IST