अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितीकरण और क्रमशः पीएम-उदय और पीएमएवाई (शहरी) के तहत झुग्गीवासियों के पुनर्वास से संबंधित कार्यों की प्रगति और स्थिति का जायजा लिया.
सक्सेना ने अधिकारियों से पीएम-उदय, पीएमएवाई और डीडीए की ‘लैंड पूलिंग’ नीति के पूर्ण कार्यान्वयन के संबंध में विशिष्ट समयसीमा देने को कहा.
उपराज्यपाल को सूचित किया गया कि अनधिकृत कॉलोनियों की सीमाओं में अस्पष्टता, कट-ऑफ तिथियों के बार-बार विस्तार और अधिसूचित झुग्गी-झोपड़ी क्लस्टर में अनिश्चितता ने इस मुद्दे को लंबे समय तक लटकाए रखा है और इसके कारण आखिरकार केंद्र को 2019 में पीएम-उदय और पीएमएवाई योजनाएं बनानी पड़ीं.
उन्होंने कहा कि उसके तुरंत बाद, कोविड महामारी शुरू होने की वजह से काम जोर शोर से नहीं किया जा सका.
एक अधिकारी ने बताया, “उपराज्यपाल ने इस तथ्य पर आश्चर्य और चिंता व्यक्त की कि यह अधिनियम विभिन्न रूपों में दिसंबर 2006 से लागू था और फिर भी महामारी के कारण उत्पन्न बाधाओं के बावजूद मामला लटका हुआ था.”
सक्सेना ने अधिकारियों को अनधिकृत कॉलोनियों के पंजीकरण, सत्यापन और उसके बाद नियमितीकरण के लिए एक ठोस, समयबद्ध कार्ययोजना के साथ आने का निर्देश दिया और इस बात पर जोर दिया कि ऐसा करने की प्रक्रिया को सरल और परेशानी मुक्त बनाने की जरूरत है.
उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी तरह की लापरवाही या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
उपराज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि सभी कार्यों को हाल में संसद द्वारा पारित अधिनियम में प्रदान की गई 2026 की अधिकतम सीमा से कम से कम एक वर्ष पहले पूरा किया जाना चाहिए.
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