दिल्ली: ABVP का बजा डंका तो BJP में आई जान, यूथ के सहारे बूथ जीतने की तैयारी

नई दिल्ली. बीजेपी की मिशन-2024 की तैयारी अभी से ही शुरू हो गई है. बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व इसके लिए जोर-शोर से जुट गई है. खासतौर पर डूसू चुनाव में एबीवीपी (ABVP) की भारी जीत से बीजेपी (BJP) काफी उत्साहित है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो अब पार्टी अपना फोकस युवाओं (Youth) पर कर दिया है. बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद तेजस्वी सूर्या (Tejasvi Surya) सहित कई युवा सांसदों को इस काम में लगाया जा रहा है. खासतौर पर राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर विशेष तैयारी शुरू हो गई है. इसी को ध्यान में रखते हुए डूसू अध्यक्ष पद पर निर्वाचित तुषार डेढ़ा, सचिव पद पर निर्वाचित अपराजिता व सह सचिव पद पर निर्वाचित सचिन बैसला को भी इन पांच राज्यों में विशेष जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

दिल्ली छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी की जीत को बीजेपी अब पूरे देश में भुनाने की तैयारी कर रही है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो डूसू सहित देश के दूसरे विश्वविद्यालयों के एबीवीपी से जुड़े छात्र नेताओं को को लेकर एक प्लान तैयार किया गया है. बीजेपी की केंद्रीय टीम की एक सदस्य की मानें तो एबीवीपी छात्र नेताओं को पांच राज्यों में कैंपेन करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है. बता दें कि डूसू चुनाव में पिछले 10 साल में सातवीं बार एबीवीपी का परचम लहराया है.

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बीजेपी की रणनीति में युवा वोटर के आस-पास रहने वाली है.

क्या बताती है एबीवीपी की जीत
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मीडिया संयोजक आशुतोष सिंह न्यूज-18 हिंदी से बातचीत में कहते हैं, ‘डूसू पदाधिकारी एबीवीपी का संगठन है. संगठन जो तय करेगा उस अनुसार हमलोग काम करेंगे. हमारे डूसू का यह प्रयास है कि जो मुद्दे पूरे देश के स्टूडेंट्स व युवाओं को प्रभावित करने वाले हों, उसको पहले प्राथमिकता से उठाएं. बाकी डूसू चुनाव का जो मैसेज गया उससे यह स्पष्ट हो गया है कि आज का युवा परिवारवाद, भ्रष्टाचार, हिंसा के विरूद्ध है. राष्ट्रीय राजनीति के लिए यह मैसेज है.’

यह जीत कई मायनों में क्यों है खास?
वहीं, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और दिल्ली से बीजेपी सांसद मनोज तिवारी कहते हैं, यह जीत कई मायने में खास है. केजरीवाल जी की पार्टी डर कर चुनाव इसलिए नहीं लड़ी क्योंकि उनको हार का खतरा पहले से ही था. एनएसयूआई को कहीं न कहीं फायदा पहुंचाने के लिए आप की छात्र विंग ने चुनाव नहीं लड़ा. यह I.N.D.I.A गठबंधन की पहली हार है और आगे इसी तरह से हार मिलेंगी. देश में एबीवीपी ही एक ऐसा संगठन है, जो पूरे साल सक्रिय रहता है. यह न कि सिर्फ चुनावों के आसपास, बल्कि पूरे साल कैंपस के अंदर-बाहर छात्रों की समस्या को उठाता रहा. कोविड के दौरान और कोविड के बाद भी एबीवीपी इन छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते रहा.’

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ‘छात्र गर्जना रैली’ दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस व साउथ कैंपस में आयोजित की गई.

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कुलमिलाकर आने वाले चुनावों में बीजेपी की रणनीति युवा वोटर के आस-पास रहने वाली है. इसीलिए पार्टी ने खास फोकस इन्हीं युवा वोटरों पर किया है. बीजेपी की कोशिश है कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा पार्टी के साथ जोड़ा जाए, जिससे 2024 में बीजेपी की जीत की राह आसान हो सके. इसी कड़ी में मंगलवार को एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री, एबीवीपी से डूसू में अध्यक्ष पद पर निर्वाचित तुषार डेढ़ा, सचिव पद पर निर्वाचित अपराजिता व सह-सचिव पद पर निर्वाचित सचिन बैसला के नेतृत्व में एक रैली निकाली गई.

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