दिल्ली से अधिक प्रदूषित हो चुकी बिहार के इस शहर की हवा, बच्चों पर बुरा असर

रिपोर्ट नीरज कुमार, बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय की हवा में घुला धूल और धुएं का जहर लोगों की सांसे संकट में डाल रहा है. इसके अलावा बच्चों के लिए मौत की हवा बनकर सामने आ रही है. जिला अस्पताल सहित अन्य निजी अस्पतालों में सांस लेने में तकलीफ की वजह से मरीजों की संख्या में इजाफा होता दिख रहा है. खासकर बेगूसराय के बच्चों को शिशु रोग विशेषज्ञ की जरूरत पड़ रही है. बच्चों में बीमार होने के आंकड़े का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है.

हालांकि सदर अस्पताल इन बीमारियों के बढ़ते मरीजों का आंकड़ा देने से परहेज कर रहा है. वहीं चिकित्सकों का कहना है कि रोजाना मरीजों के आंकड़ों में वृद्धि हो रही है. इन बीमारियों के पीछे की वजह वायु प्रदूषण भी है.

बेगूसराय का AQI 315 से हुआ अधिक
बिहार में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाला जिला बेगूसराय बना हुआ है. यहां की हवा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से भी ज्यादा जहरीली हो गई है. धूलकण की मात्रा ज्यादा होना वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने का कारण माना जा रहा है. चाहे वह सरकारी और गैर के सरकारी निर्माण कार्य में प्रयुक्त की जा रही सामग्रियों से निकलने वाला धूलकण हो या फिर वाहनों की आवाजाही से सड़क पर उड़ने वाले धूल-कण हो. यहां का एक्यूआइ इन दिनों रोजाना 315 के आस-पास रह रहा है. जो मानक हिसाब से बहुत ही खराब है.

जिला मुख्यालय स्थित डीआरसीसी में लगे प्रदूषण मापक यंत्र के रिपोर्ट के मुताबिक धूलकण यहां की हवा को ज्यादा प्रभावित कर रहा है.

यहां के बच्चों की घट रही है उम्र सीमा
बेगूसराय सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ सह चिकित्सा पदाधिकारी कृष्ण कुमार ने बताया कि बच्चों के जीवन शैली और और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि बेगूसराय में पिछले साल भी एयर क्वालिटी काफी खराब थी. वर्तमान समय में 315 के आस-पास एयर क्वालिटी इंडेक्स पहुंच चुका है. ऐसे में वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों में होता है.

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1 से 2 साल के बच्चों को अस्थमा की बीमारियां आगे चलकर हो सकती है. वही फेफड़ा, इन्फैसिमिया, कोरोनिक डिजीज, लंग डिजीज आदि बीमारी बच्चों में बढ़ने लगा है. ऐसे में बड़े होने के बाद बच्चों के उम्र पर भी असर पड़ेगा और उम्र कम होगी. इसके अलावा ऐसी स्थिति में प्रजनन क्षमता में भी कमी आनी शुरू हो जाएगी.

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आगे की राह की बात की जाए तो दिल्ली की तर्ज पर फिलहाल यहां भी वायु प्रदूषण से बचने के लिए तुरंत शासन को प्रयास करना होगा. यहां के लोग अगर मास्क का उपयोग करते हैं तो 5 से 10 फीसदी तक ही बचाव हो सकता है.

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