दिल्ली पुलिस के एक ACP ने G20 में आने वाले राष्ट्र प्रमुखों के स्वागत के लिए बनाए उनके कैरिकेचर

एसीपी राजेंद्र कलकल ने बताया कि, जी20 में 9 आमंत्रित हैं और 20 देशों के राष्ट्र अध्यक्ष आ रहे हैं. कुल 30 कैरिकेचर बनाए हैं. उन्होंने बताया कि बचपन से ही कार्टून बनाने में रुचि रही है. सभी मौका ढूंढते हैं, यह भी बहुत बढ़िया अवसर था. 

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उन्होंने कहा कि, बाहर से हमारे मेहमान आ रहे हैं, बड़े-बड़े देशों के नेता आ रहे हैं. सोचा क्यों न इनके कैरिकेचर बनाए जाएं. डेढ़ दो महीने पहले यह विचार मन में आया तो तभी से बनाना शुरू कर दिया था. धीरे-धीरे सबके बना दिए हैं.

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ड्यूटी के दौरान समय कैसे निकाला? इस सवाल पर कलकल ने कहा कि, करीब दो महीने से धीरे-धीरे बनाते रहे. समय निकालने की बात है तो जिसे जो शौक होता है, जैसे किसी को गाने का शौक होता है तो वह ड्यूटी खत्म करके रास्ते में जाते-जाते गुनगुनाता रहेगा. शौक है तो, ड्यूटी खत्म करके अपने खाली टाइम में हमने यह बना दिया.

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सबसे मुश्किल कैरिकेचर किसका है, जिसको बनाने में आपको ज्यादा टाइम लगा हो? इस सवाल पर एसीपी कलकल ने कहा कि, ऋषि सुनक का कैरिकेचर बनाने में काफी समय लग गया. ऐसा इसलिए कि कई बार दिमाग आपका सौ प्रतिशत नहीं चल रहा है, कोई दूसरे विचार आ रहे हैं तो ऐसा हो जाता है. कई बार बहुत जल्दी भी हो जाता है.  

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सबसे कम समय में बने कैरिकेचर के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि, सबसे कम समय साउथ अफ्रीका के प्रेसीडेंट का बनाने में लगा. इनका गोल चेहरा है तो थोड़ा जल्दी बन गया था. 

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उन्होंने सवाल पूछने पर बताया कि वे अपने पुलिस अफसरों के स्कैच बनाते हैं. कैरिकेचर आम तौर पर सेलिब्रिटीज के होते हैं. अधिकारियों के स्कैच बनाते हैं, पेंसिल स्कैच हूबहू होते हैं. 

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अन्य शौकों के बारे में सवाल किए जाने पर कलकल ने कहा कि मैं कवि हूं और शायर भी हूं. एक आर्टिस्ट है तो कई विधाओं में उसका दिमाग चलता रहता है. क्रिएटिविटी होती है तो कहीं भी यूज हो जाती है.

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कलकल ने NDTV के दर्शकों के लिए अपने दो शेर सुनाए- ”काम जब मैं रखने लगा काम से, जिंदगी कटने लगी आराम से/ छल कपट फिर से वही करने लगा, जो अभी लौटा है चारों धाम से…”

यहां देखें – एसीपी राजेंद्र कलकल के बनाए हुए सारे कैरिकेचर- 

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एसीपी कलकल ने अपना दूसरा शेर सुनाया- ”पड़ गया पीछे जमाना क्या करूं,  बन गया मैं ही निशाना क्या करूं/ छोड़ जाना है जब अपना ही यहीं, गैर का लेकर खजाना क्या करूं…”

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