दिल्ली के सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल रिक्रूटमेंट को लेकर AAP-केंद्र आमने-सामने

नई दिल्ली:  

आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने दिल्ली के स्कूलों की स्थिति को लेकर NCPCR द्वारा उठाए गए सवाल पर कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि भाजपा की केंद्र सरकार, उनके सांसद और नेता, जो हमेशा धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करते आए हैं, आज वे कम से कम शिक्षा की बात तो कर रहे हैं. यही आम आदमी पार्टी और केजरीवाल मॉडल की सफलता है कि देश की हर पार्टी को आज स्कूलों की बात करनी पड़ रही है. 

एमएलए आतिशी ने कहा कि मैं मनोज तिवारी और BJP की NCPCR से आग्रह करूंगी कि वे मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के भी कुछ स्कूल देखकर आएं. उन्हें तब पता चलेगा कि किस तरह कबाड़खाने में स्कूल चल रहे हैं, बच्चों के पास बैठने के लिए बेंच नहीं हैं, पीने के लिए पानी नहीं है, टॉयलेट नहीं हैं. बीते 7 साल में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने सरकारी स्कूलों का कायापलट किया है. 

उन्होंने आगे कहा कि उसी की वजह से आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों का एडमिशन IIT, JEEE में हो रहा है और प्राइवेट स्कूलों से बेहतर नतीजे आ रहे हैं. यही कारण है कि मनोज तिवारी, रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा को एक भी ऐसा स्कूल नहीं मिला, जहां बच्चों के पास बैठने के लिए बेंच नहीं था या टीचर नहीं थे. बड़ी मुश्किल से उन्होंने दो चार ऐसे स्कूल खोज कर निकाल ले और कहा कि यहां दीवारों पर व्हाइट वॉश नहीं हुआ है.

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल्स की कमी पर

विधायक आतिशी ने कहा कि केंद्र सरकार की यूपीएससी को दिल्ली के सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल रिक्रूट करने होते हैं. हम बार बार कह चुके हैं कि हमारे प्रिंसिपल रिक्रूट करिए, उनका एग्जाम कराइए लेकिन यूपीएससी वो फाइल रोककर बैठी हुई है. मैं मनोज तिवारी से आग्रह करूंगी कि अगर उनको इतनी ही चिंता है दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की, तो अपनी केंद्र से वो फाइल निकलवाकर प्रिंसिपल रिक्रूट कराएं, ताकि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल्स की कमी दूर हो जाए.

गुजरात के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को मनीष सिसोदिया द्वारा लिखे गए पत्र पर

उन्होंने आगे कहा कि कुछ दिन पहले ही दिल्ली के शिक्षा मंत्री और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गुजरात गए थे, उन्होंने वहां के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी के इलाके के स्कूल देखें, उन स्कूलों की तस्वीर देखकर आंखों में आंसू आ जाते हैं. वहां बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर नहीं हैं, पीने के लिए पानी नहीं है, टॉयलेट नहीं है. ऐसी स्थिति में हम अपने बच्चों को पढ़ाएंगे क्या, क्या ये हमारे देश का भविष्य बनेंगे. 27 साल से सरकार में होने के बावजूद शिक्षा मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में स्कूलों का इतना बुरा हाल है, तो सवाल उठता है कि इतने सालों में स्कूलों में सुधार क्यों नहीं हुआ. इसीलिए मनीष सिसोदिया ने उन्हें पत्र लिखकर आमंत्रित किया है कि अगर आपको ठीक करने नहीं आते, तो आप हमारे स्कूल आकर देख लीजिए, शायद आप सिख जाएं.




Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *