दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडपम में आधुनिकता और भारतीय विरासत का संगम

यह नवनिर्मित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र एक अत्याधुनिक परिसर है और आधुनिकता की तस्वीर पेश करता है. वहीं, देश की कला और परंपराएं इसके डिजाइन और वास्तुकला में भी प्रतिबिंबित होती हैं.

मंडपम में 9-10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया. लोगों ने इसके कुछ सीमित दृश्यों को टेलीविजन और इंटरनेट पर देखा, लेकिन इसकी आंतरिक विशेषताएं कई लोगों के लिए एक रहस्य बनी हुई हैं क्योंकि इसे अभी तक आम लोगों के लिए खोला नहीं गया है.

शिखर बैठक कक्ष में सभी आधुनिक एयर कंडीशनिंग प्रणाली, और बैठने की सुविधाएं हैं, लेकिन भारत की विरासत को इसके डिजाइन में शानदार ढंग से शामिल किया गया है.

बैठक कक्ष की छत के नीचे बड़े पैमाने पर कसीदाकारी वाले रंगीन कालीन बिछाए गए हैं, और गोल मेज क्षेत्र के बगल में, फूलों की सजावट वाला हल्के पीले रंग का कालीन फर्श को सुशोभित करता है.

शाहजहांबाद (पुरानी दिल्ली) से लेकर रायसीना हिल तक, दिल्ली की पुरानी इमारतों में आम तौर पर इस्तेमाल किये गये बलुआ पत्थर का उपयोग बैठक कक्ष के स्तंभों में किया गया है, जबकि पारंपरिक जालियों से प्रेरित सजावटी पैनल मुगलकालीन इमारतों और स्मारकों में भी देखने को मिलती हैं.

इसके ठीक बगल में ‘लीडर्स लाउंज’ है, जहां जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों जैसे वैश्विक नेता बैठे और आराम किया था.

बैठक कक्ष और ‘लीडर्स लाउंज’ के बाहर एक विशाल हॉलवे में अभी ‘कल्चर कॉरिडोर – जी20 डिजिटल म्यूजियम’ है, जिसे सिर्फ शिखर सम्मेलन के लिए तैयार किया गया था.

जी20 इंडिया के विशेष सचिव मुक्तेश परदेसी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘वैश्विक नेताओं ने भारत के आतिथ्य और विरासत के साथ-साथ आधुनिकता को संजोने और इसकी तकनीकी शक्ति, विशेष रूप से भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के विकास को महसूस किया.”

उस जगह पर, जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रात्रिभोज से पहले वैश्विक नेताओं का स्वागत किया था, उसकी पृष्ठभूमि में बिहार के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को दर्शाया गया.

प्रवेश द्वार के पास एक दीवार पर योग को प्रदर्शित किया गया. इस द्वार का उपयोग वैश्विक नेताओं ने शनिवार सुबह भारत मंडपम में प्रवेश के लिए किया था.

इसके बगल के ‘कॉरीडोर’ में, नटराज की एक छोटी सी मूर्ति रखी गई है, जबकि चोलकाल में कांस्य मूर्ति बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मोम तकनीक से बनी 27 फुट ऊंची नटराज की प्रतिमा, हरे-भरे लॉन में स्थापित की गई है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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