दिल्ली-एनसीआर की हवा में 5 जहरीले चीजें कौन सी? जो आपको बीमार नहीं बहुत बीमार बना रहीं

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या विकराल हो गई है. सुप्रीम कोर्ट चिंतित है और राज्यों को फौरन सख़्त कदम उठाने को कहा है. एनजीटी ने भी 7 राज्यों को नोटिस जारी कर दिया है. स्वास्थ्य एजेंसियां इसे ‘हेल्थ एमरजेंसी’ करार दे रही हैं. आखिर दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता (AQI) इतनी क्यों बिगड़ गई? हवा में ऐसा क्या है जो आपको बीमार नहीं बहुत बीमार बना रहा है? आइये बताते हैं…

दिल्ली-एनसीआर की हवा को जहरीली बना रही ये 5 चीजें…

PM 10 और PM 2.5
दिल्ली की हवा में कई तरह के जहरीले तत्व हैं. सबसे पहला है PM 10 और पीएम 2.5. ये इतने महीन कण होते हैं कि सांस के रास्ते बहुत आसानी से फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. वायुमंडल में पीएम 10 और पीएम 2.5 बढ़ने की वजह पराली के चलते पैदा होने वाला धुआं तो है ही.

इसके अलावा फैक्ट्रियों से निकलने वाला प्रदूषण व धुआं, कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज, सड़क पर उड़ने वाली धूल और गाड़ियों से निकलने वाला प्रदूषण है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक PM 10 और PM 2.5 अस्थमा, हार्ट अटैक, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारी की वजह बन सकते हैं.

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड यानी NO2 डीजल, पेट्रोल और दूसरे तरह के ईंधन के जलने से हवा में घुलता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सड़क पर चलने वाली गाड़ियां और पावर प्लांट इसके सबसे बड़े सोर्स हैं. अमेरिका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के मुताबिक अगर हवा में NO2 की मात्रा ज्यादा हो तो इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकते हीं. इंफेक्शन भी हो सकता है.

सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
दिल्ली-एनसीआर की हवा में सल्फर डाइऑक्साइड यानी SO2 की मात्रा भी अच्छी खासी है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो वायुमंडल में SO2 का सबसे बड़ा स्रोत बिजली संयंत्र और औद्योगिक इकाइयों में जलने वाला जीवाश्म ईंधन है. वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक होने से हृदय से जुड़ी बीमारियां होती हैं.

SO2 का हृदय से लेकर सांस पर नकारात्मक असर पड़ता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि सल्फर डाइऑक्साइड (Sulfur Dioxide) इंसानों के लिए हानिकारक तो है ही, साथ ही यह पेड़-पौधों को भी बहुत नुकसान पहुंचता है.

अमोनिया (NH3)
दिल्ली की हवा में अमोनिया (Ammonia) भी है. वैज्ञानिकों के मुताबिक खेती किसानी में जिस तरीके से रासायनिक खादों का उपयोग बढ़ा है, उसमें अमोनिया (Ammonia) की मात्रा भी अच्छी-खासी है. फसल कटाई के बाद यह अपशिष्ट के रूप में वायुमंडल में घुल रही है. अमोनिया गैस नाइट्रिक और सल्फ्यूरिक एसिड के साथ मिलकर नाइट्रेट के बारी कण बनाती है. यह छोटे-छोटे कण हवा में घुल जाते हैं और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

लेड (Pb)
दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा के पीछे लेड या शीशा (Pb) भी बड़ी वजह है. यह प्राकृतिक तौर पर पृथ्वी की ऊपरी सतह की पपड़ी में मिलती है. अगर यह जरूरत से ज्यादा संपर्क में आए तो स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है.

दिल्ली-NCR की हवा में ऐसा क्या? जो आपको बीमार नहीं बहुत बीमार बना रहा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक वायुमंडल में खनन, रीसाइकिलिंग प्रोजेक्ट, निमार्ण कार्य जैसी गतिविधियों के चलते लेड घुल रहा है. यह छोटे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है. वयस्कों के मुकाबले बच्चों को चार से पांच गुना अधिक नुकसान पहुंचा सकता है.

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