खाक भी जिस जमीं की पारस है ये शहर वही बनारस है। अविनाशी काशी में ध्यान परंपरा और योग संस्कार का एक नया ग्लोबल सेंटर अपने भव्य और दिव्य स्वरूप में बनकर तैयार है। दुनिया का सबसे विशाल मेडिटेशन सेंटर स्वर्वेद महामंदिर धाम का प्रांगण वाराणसी के चौबेपुर के पास उमराहा में खुल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इसका उद्घाटन किया है। 19 वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद मंदिर ने इस महाकृति को धारण किया है।
मंदिर की क्या है खासियत
स्वर्वेद मंदिर के निर्माण की शुरुआत साल 2004 में हुई थी। पिछले 19 सालों में इस मंदिर को स्वरूप दिया गया। 200 एकड़ परिसर में ये मंदिर फैला हुआ है। इस मंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के 4000 दोहे अंकित किए गए हैं। मंदिर की दीवारों पर अद्भुत नक्काशी की गई है। इसे बनाने में 35 करोड़ की लागत आई है।
20 हजार लोग एक साथ मेडिटेशन कर सकते
स्वर्वेद मंदिर के निर्माण के पीछे विहंगम योग के प्रणेता कहे जाने वाले संत सदाफल महाराज की प्रेरणा है। संत सदाफल के आश्रमों में ये नया स्वर्वेद मंदिर सबसे बड़ा है। इस महामंदिर में 20 हजार लोग एक साथ बैठकर मेडिटेशन कर सकते हैं। दूसरे मंदिरों की तुलना में स्वर्वेद मंदिर अलग है क्योंकि यहां योग साधना की पूजा की जाती है। मंदिर का मुख्य गुंबद कमल पुष्प के समान है जिसमें 125 पंखुरियां बनाई गई हैं।
पीएम मोदी से क्या है पुराना नाता?
प्रधानमंत्री मोदी का स्वर्वेद महामंदिर से पुराना नाता रहा है। उनकी मां हीराबेन अंतिम समय तक स्वर्वेद मंदिर से जुड़ी रही थीं। पीएम मोदी के भाई स्वर्वेद से जुड़े हुए हैं। स्वर्वेद महामंदिर धाम की मीडिया प्रभारी इंदू प्रकाश ने कहा कि स्वर्वेद दो शब्दों से बना है। और वेद। स्वः का मतलब आत्मा और परमात्मा से होता है।