भरत तिवारी/जबलपुर: संस्कारधानी में स्थित कमानिया गेट के पास पान दरीबा में मां मक्रवाहिनी की करीब 1000 साल पुरानी प्रतिमा स्थापित है. माता मक्रवाहिनी के बारे में कहा जाता है कि वह दिन में तीन बार रूप बदलती हैं. शहर के बीच में कमानिया गेट के पास माता का भव्य मंदिर है.
ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने महाआरती कर मंदिर के महात्म्य को रेखांकित किया था. साथ ही इस मंदिर को मां मक्रवाहिनी तीर्थ का नाम दिया था. विश्व की एकमात्र सबसे प्राचीन मां त्रिपुर सुंदरी की तरह मक्रवाहिनी भी दिन में तीन बार अपना रंग बदलती हैं. इसकी पुष्टि मां नर्मदा के सभी अवतरण कथाओं से होती है. बताया जाता है कि यह प्रतिमा कलचुरी काल में सैंडस्टोन से बनवाई गई थी.
अलग-अलग स्वरूप में होते हैं माता के दर्शन
मंदिर में मौजूद लोगों का कहना है कि माता दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है, अगर आप वहां रहेंगे तो आपको समझ में आएगा की माता का स्वरूप सुबह के वक्त कुछ और रहता है दोपहर और शाम के वक्त कुछ और. माता मक्रवाहिनी को माता नर्मदा का ही स्वरुप कहते हैं. माता मक्रवाहिनी के इस मंदिर के नीचे जो भी कुएं होते थे, इसके पानी का स्वाद नर्मदा जल जितना ही मीठा और स्वादिष्ट होता था.
मंदिर में आज भी पुराने जमाने के 7 कुएं
जिस जगह पर मंदिर बना है, वहां बताया जाता है कि उसके पहले 7 कुएं थे, जो आज भी मौजूद हैं. उनमें से एक के ऊपर माता मक्रवाहिनी स्वयं विराजित हैं. मंदिर प्रबंधक द्वारा उन सभी कुंओं को बंद कराकर उनके ऊपर मंदिर बना दिया गया है. सिर्फ एक ही कुएं को चालू रखा गया है. उस कुएं में आज भी पुराने जमाने के पत्थर लगे हैं. उसके ऊपर माता मक्रवाहिनी का मंदिर बना है.
मध्यरात्रि में होता है हवन
जबलपुर के बीचोबीच स्थित इस छोटी सी जगह में 7 कुएं एक साथ होना अपने आप में बड़ी बात है. मंदिर में माता का हवन भी मध्य रात्रि में शुरू होकर ब्रह्म मुहूर्त में खत्म होता है, साथी ही कई विशाल आरतियों के साथ इस मंदिर में हर साल ग्यारस के दिन महाआरती की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : November 26, 2023, 17:40 IST