दादी-नानी की कहानी: बेटे-बहू ने मां को घर से निकाला, भगवान ने बना दिया महल

रिपोर्ट – दीपक पाण्डेय

खरगोन. दान करने से पुण्य होता है, यह बात आपने दादी-नानी की कहानियों में जरूर सुनी होगी. पौराणिक कथाओं के दानी राजाओं, महाभारत के दानवीर कर्ण की कथाओं से भी आप जानते होंगे. कहते भी हैं कि आप जितना दान करेंगे, ईश्वर उसका कई गुना रिटर्न देता है. दान के इसी महत्व को समझाती दादी नानी की यह कहानी भी आपको जरूर प्रेरित करेगी. कहानी सुना रही हैं मध्य प्रदेश के खरगोन के पास नागझिरी गांव में रहने वाली 75 वर्षीय दादी सावित्री बाई.

दादी सावित्री बाई कहती हैं- पुराने जमाने में एक गांव था, जहां एक बुढ़िया रहती थी. वह बहुत धनवान थी और रोज सोने का एक टुकड़ा दान किया करती. बुढ़िया की बहू को लगा कि अगर उसकी सास रोज ऐसे दान करती रहेगी तो एक दिन हम तो कंगाल हो जाएंगे. बहू ने बुढ़िया के बेटे से कहा कि तुम अपनी मां को जंगल में छोड़ आओ. बेटा था बेवकूफ, पत्नी की बातों में आ गया और मां से बोला- चल मां, मामा घर चले. बेटे ने बैलगाड़ी मंगवाई और मां को लेकर निकला. कुछ देर के सफर के बाद जंगल आया, तो दोनों बैलगाड़ी से उतर पड़े और पैदल ही मंजिल की ओर चल पड़े.

जंगल में मां को छोड़ गया बेटा
जंगल में चलते-चलते मां बोली- बेटा मामा के घर का रास्ता तो दूसरा है, इधर कहां ले आया. बेटा बोला- इधर से जल्दी पहुंच जाएंगे. चलते-चलते सूरज ढल गया और अंधेरा हो गया, तो मां फिर बोली- बेटा मुझे तो डर लग रहा है. बेटा बोला- मां डर मत मैं हूं ना. काफी देर चलने के बाद बूढ़ी मां थककर एक जगह बैठ गई. थकान की मारी बुढ़िया को बैठते ही नींद ने आ घेरा. इधर, बेटे ने देखा कि मां सो गई है, तो उसने बुढ़िया के सिरहाने दो दोनों में पानी भरकर रखा और वहां से रफूचक्कर हो गया.

भगवान ने सुनी बुढ़िया की गुहार
नींद का झोंका टूटा, तो बुढ़िया ने करवट ली, ऐसा करते ही पानी से भरे दोने गिर पड़े. हड़बड़ाहट में बुढ़िया की नींद खुल गई. उसने आसपास देखा, लेकिन बेटा कहीं नहीं दिखा. जंगल में खुद को अकेला जानकर बुढ़िया घबरा गई. कहने लगी- भगवान अब मैं क्या करूं? तुम्हारे नाम से इतना दान-पुण्य किया, अब तुम ही कुछ करो. भगवान ने बुढ़िया की गुहार सुनी और तुरत-फुरत उसके लिए वहां महल बना दिया. महल में बुढ़िया की सेवा के लिए नौकर-चाकर रख दिए. अब बुढ़िया ऐशो आराम की जिंदगी जीने लगी. उधर मां को घर से निकालने के बाद बेटा-बहू पर आफत टूट पड़ी. वे कंगाल हो गए, दाने-दाने को तरसने लगे.

मां को घर से निकालने का हुआ एहसास
बेटा और बहू को जब इस बात का एहसास हुआ कि मां को घर से निकालकर बहुत बड़ी गलती की, तो बहू ने पति से कहा कि तुम अपनी मां को वापस घर ले आओ. बेटा जंगल में उसी स्थान पर जब पहुंचा, तो वहां उसने देखा कि मां महल के बाहर झूले पर झूला झूल रही हैं. बुढ़िया की बदली जिंदगी देख बेटे की आंखें फटी की फटी रह गई. पास जाकर बोला- मां मैं तुम्हें लेने आया हूं. तुम्हारे जाने के बाद हम कंगाल हो गए. मां ने कहा- बेटा तू तो मुझे जंगल में अकेला छोड़ गया था, अब क्या लेने आया है. मैं तो अब उस घर में वापस नहीं जाऊंगी, तुझे मेरे साथ रहना है तो तू यहीं मेरे पास आ जा. मां की बात सुनकर बेटा घर लौटा और अपने परिवार के साथ मां के पास रहने आ गया. कहानी हुई खत्म.

दादी सावित्री कहती हैं कि इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अगर आप सक्षम हैं तो ईश्वर के प्रति विश्वास रखकर दान-पुण्य करते रहना चाहिए. मुसीबत आने पर आपका किया भला काम ही आपके काम आता है. भगवान आपकी मदद करते हैं. आप जितना दूसरों की भलाई करते हैं, दान-पुण्य करते हैं, भगवान उसके बदले आपको कहीं ज्यादा वापस दे देता है.

Tags: Local18, Mp news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *