रिपोर्ट – अर्पित बड़कुल
दमोह. पहले के दौर में दादी-दादा, नाना- नानी अपने पोता, पोतियों को पुराने किस्से या कहानियां खूब सुनाया करती थीं. ये कहानियां प्रेरक होती थीं, साथ ही परिवार में बड़े-बुजुर्ग से बच्चों का भावनात्मक लगाव भी बढ़ता था. मध्य प्रदेश के दमोह जिले के तेंदुखेड़ा गांव में एक स्कूल शिक्षक ने बच्चों को दादी-नानी की ऐसी ही एक कहानी सुनाई. सीएम राइज स्कूल में प्राचार्य ने तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को जो कहानी सुनाई, वह आप भी पढ़ें…
प्राचार्य ने सुनाई किसान की कहानी
एक किसान था, जिसके पास सुंदर और शरीर से हृष्ट-पुष्ट गाय थी. किसान अपने गायों को चराने के लिए जंगल जाया करता था. एक दिन जंगल में रहने वाले एक शेर ने उसे गाय चराते देखा, तो वनराज के मन में ख्याल आया कि क्यों न गाय का शिकार कर पेट की आग बुझाई जाए. संयोग की बात है कि शेर के अलावा एक डाकू ने भी गाय को उसी दिन देखा. डाकू के मन में ख्याल आया कि इस गाय को बेचकर अच्छी कीमत मिल सकती है.
डाकू और शेर पहुंचे किसान के घर
इस सोच के साथ शेर और डाकू एक रात किसान के घर पहुंचे. शेर यह सोचकर आया कि आज रात गाय का शिकार करेंगे, वहीं डाकू ने गाय चुराने की योजना बना रखी थी. किसान जिस स्थान पर गाय को बांधता था, शेर आधी रात को वहां आकर बैठ गया. उसने सोचा कि किसान जैसे ही दरवाजा खोलेगा, वह तुरंत गाय को मारकर खा लेगा. इधर, डाकू भी किसान जहां गाय बांधता था, उसके पास पड़ी छप्पर पर बैठ गया कि मौका मिलते ही गाय को चुराकर ले जाएगा.
बच्चा रोया तो डर गए डाकू और शेर
इधर, शेर और डाकू की योजना से बेखबर किसान अपने घर में परिजनों के साथ सोया था. देर रात अचानक किसान का छोटा बच्चा रो पड़ा. बच्चे को रोता देख किसान उसे चुप कराने की कोशिश करने लगा. तमाम कोशिशों के बाद भी जब बच्चा शांत नहीं हुआ तो किसान ने उसे चुप कराने के लिए कहा, ‘सो जा बेटा मोंगजा, शेर आया है शेर’. इतना सुनते ही बच्चा चुप हो गया. लेकिन उधर शेर ताज्जुब में पड़ गया कि आखिर किसान को कैसे पता चला कि शेर आया है. कुछ देर बाद बच्चा फिर रोने लगा. अबकी बार किसान बोला, ‘सो जा बेटा मोंगजा, डाकू आया है डाकू’. इस पर डाकू ने सोचा कि इसे कैसे पता चला कि मैं आया हूं. बच्चा फिर चुप हो गया. कुछ देर शांति के बाद बच्चा फिर रो पड़ा, तो किसान ने कहा, ‘मोंगजा बेटा, मिठाई आई है मिठाई’. यह सुनते ही बच्चा चुप हो गया.
किसान की बातों से हुई उलझन
रोते हुए बच्चे को चुप कराने के लिए किसान की कही गई बातों से शेर और डाकू दोनों उलझन में पड़ गए. शेर ने सोचा कि ये मिठाई क्या होती है. कहीं वह मुझसे बड़ी तो नहीं, जो मुझे ही खा जाए. उधर, डाकू भी ‘मिठाई’ नाम सुनकर उलझन में था, इसलिए उसने वहां से निकल जाने में ही अपनी भलाई समझी. डाकू ने यह सोचकर जैसे ही छप्पर से नीचे उतरने की सोची कि तभी छप्पर की लकड़ी टूट गई और वह धड़ाम से नीचे आ गिरा. नीचे शेर बैठा था, डाकू उसके ऊपर ही गिर पड़ा. शेर को लगा जैसे उसके ऊपर मिठाई चढ़ बैठी है और उसे खा जाएगी. इधर, छप्पर टूटने और डाकू के गिरने से जोर की आवाज हुई, तो किसान भी जाग उठा.
अंधेरे में शेर को समझा गाय
रात का समय था, हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था. किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. किसान को लगा कि कहीं गाय भाग न जाए, इसलिए उसने अंधेरे में शेर को गाय समझकर उसके कान पकड़ लिए. वह दम लगाकर कान खींच रहा था. वहीं छप्पर से गिरे डाकू की भी समझ में कुछ नहीं आ रहा था. इसी उधेड़बुन में शेर किसी तरह किसान के हाथों से अपने कान छुड़ाकर भागा. शेर को लगा कि कहीं मिठाई उसे ही न मारकर खा जाए, इसलिए वह जान बचाकर भागा. इधर, डाकू ने शेर को भागते हुए देखा, तो उसकी सांसें जम गईं. वह डर के मारे और सहम गया. कहानी खत्म हुई. प्राचार्य ने बच्चों को बताया कि इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बिना देखे और बुद्धिमत्ता का प्रयोग किए बगैर, आकलन करना गलत बात है.
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FIRST PUBLISHED : December 26, 2023, 18:49 IST