दादी-नानी की कहानी:जब शिष्य के कहने पर प्रकट हुए भगवान! गुरु रह गए हक्के-बक्के

दीपक पाण्डेय/खरगोन. मोबाइल और TV के इस फैंसी जमाने में अब वो बात नहीं रही जो पुराने जमाने में दादी-नानी की कहानियों में होती थी. हसी-मजाक के साथ इन कहानियों में धार्मिक और सामाजिक संदेश छिपा होता था, लेकिन वहीं कहानियां एक बार फिर हम आपके लिए लेकर आएं है. आज की कहानी सुना रही हैं 75 साल की दादी सावित्री बाई, जो निमाड़ अंचल के ग्राम नागझिरी, जिला खरगोन मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं.

एक बार की बात है….
दादी कहती हैं कि गांव में गरीब बूढ़ी मां और उसका एक बेटा रहता था. बेटा स्कूल जाता तो अमीर घराने के बच्चे उसे साथ लेकर नहीं जाते और अकेले जाने में उसे डर लगता. इस पर मां कहती कि कोई बात नहीं बेड़ी पर मोहन भाई रहते हैं मैं उन्हे बोल दूंगी वो तेरा ध्यान रखेंगे. असल में वहां मोहन नाम का कोई व्यक्ति रहता ही नहीं था, लेकिन सच्चे मन से मां यह बात कहती तो बेटा निश्चिंत होकर स्कूल जाता और बेड़ी पहुंचते ही कहता मोहन भाई में जा रहा हुं, वहां से भगवान उसे आवाज देते कि जा बेटा डरना नहीं मैं यहीं हूं.

एक दिन स्कूल के मास्टर ने सभी बच्चों से कहा कि मेरी मां का श्राद्ध है, कल खीर बनायेंगे तो सभी दूध लेकर आना. बेटा घर आया और मां से बोला की मास्टर ने दूध लाने को कहा है, तो मां ने कहा कि मैंने मोहन भाई को बोल दिया है तू वहां से दूध लेकर चले जाना. अगले दिन बेटा बेड़ी पर गया और आवाज लगाई… मोहन भाई. इतने में मोहन भाई ने दूध लाकर दें दिया और बोले कि तेरी मां ने दूध के लिए बता दिया था. बेटा दूध से भरा लोटा उठाकर स्कूल चला गया. स्कूल पहुंचा तो दूसरे बच्चे इसपर हंसने लगे और दूध देने नहीं दिया, लेकिन मास्टर ने कहा कि पतीला अभी बहुत खाली है तू भी दूध डाल दे.

लड़के ने अपने लोटे का दूध डाला तो पतीला भर गया और लोटा अभी भी भरा हुआ था. यह देख सब अचंभित हो गए. मास्टर ने पूछा कि दूध कहां से लाया था तो उसने कहा कि मोहन भाई ने दिया. यह कहकर वह वापस मोहन भाई के यहां आया और कहा कि मोहन भाई तुम्हारा लोटा तो अभी भी भरा हुआ है, तो मोहन ने कहा कि वहीं रख दे में उठा लूंगा. घर आकर उसने यह बात अपनी मां को भी बताई.

मास्टर जी चल मोहन भाई से मिलने…
मास्टर ने एक दिन उस लड़के से कहा कि मुझे भी ले चलना अपने मोहन भाई के पास. जब दोनों बेड़ी पर गए तो वहा तो कोई नहीं था, मास्टर ने कहा कि कहां है तेरा मोहन भाई, जो तेरी इतनी सहायता करता है. लड़के ने आवाज दी कि मोहन भाई आज मेरी परीक्षा है तुम्हें सामने आना पड़ेगा मोहन भाई तो भगवान थे. हाथों में शंख चक्र लेकर दोनों के सामने प्रकट हुए तो मास्टर ने लड़के के सामने हाथ जोड़ लिए और कहा कि वाह बेटा आज तो गुरु गुड़ ही रह गया और चेला शक्कर हो गया, तेरी वजह से आज मुझे भगवान के दर्शन हो गए.

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कहानी से मिलती है ये सीख
दादी सावित्री कहती है कि इस कहानी का सारांश यह निकलता है कि भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा हो और विश्वास हो तो भगवान हर परिस्थिति में आपका साथ देते हैं. कभी भी किसी के सामने आपका मान सम्मान घटने नहीं देते है.

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