रिपोर्ट – अनुज गौतम
सागर. अगर बच्चों के मन में किसी प्रश्न को लेकर जिज्ञासा रहती है, तो हमेशा उनसे सच बोलना चाहिए. अगर आपको उस चीज के बारे में जानकारी है, तो बता दीजिए, पता नहीं है तो बेटे या अन्य किसी बच्चे को ईमानदारी से आपको इस चीज की जानकारी नहीं है. क्योंकि बचपन में बच्चों को जैसी शिक्षा मिलेगी वे अपने जीवन में आगे इस तरह का पालन करते हैं. इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि हमेशा बच्चों को सही और ईमानदार रहने की तालीम दे सकें. सागर जिले के सनौधा गांव की दादी द्रौपदी बाई गौतम ने इस विषय से मिलती-जुलती कहानी सुनाई, आप भी पढ़ें…
कहानी कुछ यूं है- एक गांव से पिता और पुत्र शहर घूमने जा रहे थे. रास्ते में बेटे की नजर आसमान में पड़ी. आसमान में रॉकेट धुआं छोड़ता हुआ जा रहा था. पिता के साथ जा रहे बेटे को इसकी जानकारी नहीं थी कि आखिर यह कौन सी चीज जा रही है जो अपने पीछे इतनी बड़ी लकीर खींचती जा रही है. बेटे के मन में जिज्ञासा हुई कि आखिर यह है क्या चीज? उसने पिता से पूछा कि बादलों में यह रेखा कौन खींच रहा है?
पिता की राह पर चला बेटा
पिता ने ऊपर देखा, लेकिन उन्हें इस बारे में पता नहीं था. पिता ने मन ही मन सोचा कि अगर मैं बेटे से यह कह दूंगा कि मुझे इसके बारे में पता नहीं है तो बेटा सोचेगा कि पिता कुछ नहीं जानते. कुछ देर शांत रहने के बाद वे बोले कि यह कौआ है, जो बीड़ी पीते हुए जा रहा है. उसी का धुआं निकल रहा है. बेटे की जिज्ञासा शांत हो गई, वह खुश हो गया. दिन बीतते रहे. साल बीते, नन्हा बेटा बड़ा हो गया था. पिता की कही बात उसे याद थी. सो जब भी उससे कोई कुछ पूछता, तो वह सही बात न बताकर, अपनी तरफ कुछ और कह देता. दिन बीतते रहे, बेटे को बात-बात पर बहाना बनाने की आदत लग गई. वह झूठ भी बोलने लगा. इस तरह से कहीं पर भी कुछ बोलने की वजह से, उसके पिता की बेइज्जती होने लगी. बेटे की इस आदत पर अब पिता को पछतावा होता था कि अगर मैंने बचपन में बेटे से झूठ नहीं बोला होता, तो आज मेरा बेटा भी झूठ नहीं बोलता.
दादी द्रौपदी बाई ने कहा कि बच्चों के मन में अजीब-अजीब जिज्ञासा पैदा होती रहती है. बड़ों को चाहिए कि वह उसका ठीक से हल बताएं. बच्चा अपने छुटपन के दिनों में जो बातें सीखता है, बड़ा होकर उसमें वैसे ही गुण विकसित होते चले जाते हैं.
.
Tags: Local18, Sagar news
FIRST PUBLISHED : December 28, 2023, 19:08 IST