दाएं हाथ से भात खाए, बाएं हाथ से दाल रे… शादियों में क्यों दी जाती हैं गाली

हाइलाइट्स

शादी के दौरान दूल्हे के रिश्तेदारों को भर-भरकर गालियां दी जाती हैं.
शादी में गाली वाले गीत सुनकर लोग गुस्सा नहीं करते हैं बल्कि मुस्कुराते हैं.
विवाह के दौरान दी जाने वाली गालियां कई सामाजिक संदेश भी देती हैं.

पटना. भारत के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न अवसरों पर तरह-तरह की परंपराओं को निभाया जाता है. इन परंपराओं से जुड़ी कहानी और मान्यताएं हैं देश की समृद्ध सभ्यता और संस्कृति की बात भी करते हैं.  दरअसल भारत के कई राज्यों में एक ऐसी ही परंपरा है, जिसके तहत वैवाहिक कार्यक्रमों में गालियां दी जाती हैं. गाली देने की इन इन परंपराओं का एक बड़ा सामाजिक पहलू भी है. भारत में मौका कोई भी हो यहां के रीति-रिवाज जीवन के उमंगों को सामने लाने के साथ-साथ जीवन के मूल तत्वों से जोड़ने का काम करते हैं. परंपरा और रीति रिवाज हमारे जीवन को हमेशा प्रफुल्लित करते हैं.

ऐसी ही एक समृद्ध परंपरा है शादी के मौके पर गाली देना. सामान्य दिनों में अगर कोई किसी को गाली देता है लोग बर्दाश्त नहीं करते हैं और जवाब में अपना अक्रामक रिएक्शन भी दिखा देते हैं. लेकिन, बिहार समेत अन्य राज्यों में शादी-ब्याह के अवसर पर जब दूर-दूर से सभी नाते-रिश्तेदार जुटते हैं तब एक सहज और खुशी का माहौल बनता है. इसी खुशी के माहौल में महिलाएं दूल्हे के रिश्तेदारों को भर-भर कर गालियां देती हैं. परंपराओं के अनुसार तो कई शहरों में शादियों के दौरान अगर गालियां नहीं दी जाती थी तो दूल्हे के पिता खाना खाने तक नहीं जाते थे. इन गालियों से किसी को गुस्सा नहीं आता है बल्कि लोग मुस्कुरा कर आनंदित होते रहते हैं.

शादी और मांगलिक कार्यों में गाली देने की परंपरा कितनी समृद्ध है इसी से पता चलता है कि भगवान राम जब जनकपुर पहुंचे तो मिथिला के लोगों ने गाली से स्वागत किया और इस गाली को राम जी ने मुस्कुराते हुए स्वीकार किया. इससे जुड़ा एक पारंपरिक गीत भी है जिसे मिथिला में शादी के मौके पर अक्सर गाया जाता है. यह गीत कुछ इस तरह से है-

राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥

तोहरा से पुछु मैं ओ धनुषधारी,
एक भाई गोर काहे एक काहे कारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥

इ बूढ़ा बाबा के पक्कल पक्कल दाढ़ी,
देखन में पातर खाये भर थारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥

राजा दशरथ जी कइलन होशियारी,
एकता मरद पर तीन तीन जो नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥

कहथिन सनेह लता मन में बिचारिन,
हम सब लगैछी पाहून सर्वो खुशहाली,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥

राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
बता दा बबुआ लोगवा देत कहे गारी,
बता दा बबुआ ॥

बता दें, शादी के मौके पर लड़की पक्ष के तरफ से दूल्हा और दूल्हा के संबधियो को गालियां दी जाती है. इस मौके पर दूल्हा के जितने नजदीकी संबध हैं, उनका उतनी ही अधिक गालियों से स्वागत किया जाता है. वहीं कुछ और ऐसे गीत हैं जिसे लोग शादी के अवसर पर गाली के तौर पर गाते हैं.

सुनाओ मेरी सखियां, स्वागत में गाली,
सुनाओ बजाओ मेरी सखियां ढोलक मजीरा बजाओ।।

चटनी पूरी, चटनी पूरी, चटनी है आमचुर की
खाने वाला समधी मेरा सूरत है लंगूर की
दाएं हाथ से भात खाए, बाएं हाथ से दाल रे
मुंह लगाकर चटनी चाटे, कुकुर जैसी चाल रे।।

‘सोशल इंजीनियरिंग है ये सारी परंपराएं

शादियों में गाली देना सिर्फ गाली नहीं होती बल्कि एक तरह का सोशल इंजीनियरिंग है, जिसके जरिए समाज और परिवार के बीच आपसी सौहार्द और प्यार बढ़ाने का काम होता है. कला संस्कृति के विशेषज्ञ व वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह बताते हैं कि शादी में हर रस्म के लिए अलग-अलग गालियां बनी है. हर मौकों और रस्म से पहले दी जाने वाली गालियों का अपना महत्व है. जब दूल्हा दरवाजे पर पहुंचता है और स्वागत में गालियां दी जाती है. इन गालियों के जरिए माहौल को खुशनुमा और सहज बनाया जाता है.

प्रमोद कुमार सिंह का कहना है कि शादी में मिट्टी कोड़ने की परंपरा होती है जिसमे दलित समाज से ढोल बजाने वाले को बुलाया जाता है. साथ ही गालियों का दौर शुरू होता है. सबसे खास बात है कि सबसे पहले ढोल को पूजा जाता है और इसके साथ ही दलित समाज से जुड़े व्यक्ति को भी सम्मान दिया जाता है. इस परंपरा के जरिए दलित समाज से जुड़े व्यक्ति को परिवार के साथ घुलाया-मिलाया जाता है और परिवार के सदस्य के रूप में भी साथ लेकर समाज को संदेश देने की कोशिश होती है.

गालियों से दहेज प्रथा पर होता है कड़ा प्रहार
वैवाहिक कार्यक्रम में तिलकोत्सव के मौके पर दी जाने वाली गाड़ी एक प्रकार के समाज में फैले कुरीतियों पर गहरा चोट करती है. तिलक उत्सव के मौके पर वधू पक्ष से वर पक्ष को गालियां दी जाती है. इन गालियों में दहेज को लेकर बातें सुनाई जाती हैं और यह कहने का प्रयास होता है की शादी में दहेज ना लें और अगर दहेज लिया गया है तो इसका प्रतिकार भी करना चाहिए. इसी दहेज प्रथा पर चोट करती गालियां न सिर्फ लोगों को गहरा संदेश देती है बल्कि प्रफुल्लित भी करती हैं.

Tags: Bihar News, Royal Traditions, Wedding story

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