दाई या बाई सूड़ होने का नियम, प्रसिद्ध ज्योतिष से जानिए धार्मिक महत्व

अभिलाष मिश्रा/इंदौर: गणेश चतुर्थी का त्यौहार नजदीक आ गया है. यहां घरों में और पंडालों में गणपति विराजमान किए जाएंगे. साथ ही मार्केट में गणपति की मूर्तियों की दुकानें भी सज गई हैं. गणपति बप्पा की दो प्रकार की मूर्तियां मार्केट में मिल रही हैं. पहली बाई ओर गणपति की सूड़ वाली मूर्ति और दूसरी तरफ दाई ओर गणपति की सूड़ वाली मूर्ति. ऐसे में अब कई लोगों के मन में यह सवाल है कि कौन सी मूर्ति सही होती है.

इंदौर के आचार्य ने बताया….
इंदौर के प्रसिद्ध आचार्य और ज्योतिषाचार्य पंडित कपिल महाराज ने बताया कि सबसे विशेष बात यह है कि गणेश जी जब हमारे घर में आते हैं तो अपने साथ में रिद्धि-सिद्धि,शुभ-लाभ,अमोद-प्रमोद, तुष्टि-पुष्टि, श्री यश और विजय साथ में लेकर आते हैं. बाई ओर सूड़ वाले गणेश जी को वरद विनायक कहा जाता है. जिन्हें घर में स्थापित करने से सुख-समृद्धि, आयु-आरोग्यता,यश कीर्ति की प्राप्ति होती है और घर की नेगेटिविटी भी दूर होती है. इसलिए जब भी घर में गणेश जी की स्थापना होती है तो घर में वरद विनायक को रखा जाता है. लेकिन जो लोग विशेष सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं. वो लोग दाई ओर सूड़ वाले गणपति की पूजा कर मनोवांछित सिद्धियों को प्राप्त कर सकते हैं. दाई ओर सूड़ वाले गणपति को हमेशा मंदिरों में ही विराजमान करना चाहिए. उन्होंने बताया कि वैसे तो गणपति बप्पा सौम्य स्वभाव के देवता हैं. इसलिए वे सर्वदा प्रसन्न रहते हैं. घरों या पंडालो में वरद हस्त यानी बाई ओर सूड़ वाले गणपति को ही विराजमान करना चाहिए.

आसन भी होता है ज़रूरी
शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार यदि संभव हो तो गणपति को चांदी या सोने के सिंहासन पर विराजमान करना चाहिए. अगर संभव ना हो तो कोई चिंता की बात नहीं है. गणेश जी को सामान्य आसन पर भी विराजमान किया जा सकता है. आसन के बगल में चांदी का सिक्का जरूर रखना चाहिए. गणेश जी सब पर समान कृपा करते हैं.

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FIRST PUBLISHED : September 13, 2023, 22:07 IST

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