सच्चिदानंद, पटना. बिहार के लोगों में प्रतिभा की कमी नहीं है. हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत का झंडा गाड़ रहे हैं. इस श्रेणी में अब बच्चे भी पीछे नहीं हैं. कम उम्र में ही बच्चे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. एक ऐसी ही कहानी है राजधानी पटना के 15 वर्षीय जय आदित्य की, जिन्होंने शैवाल जिसे आम भाषा में काई कहा जाता है उससे बिजली बना दिया है. काई से बिजली का उत्पादन कर उससे मोबाइल तक चार्ज किया है. इसके बाद अब जय आदित्य सोलर पैनल की तरह शैवाल पैनल पर काम कर रहा है, जिससे घर में ही बिजली का उत्पादन हो सकेगा.
शैवाल से बिजली उत्पादन
शहर के बीडी पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले 15 वर्षीय जय आदित्य ने शैवाल यानी काई से बिजली उत्पादन की तकनीक बनाई है. 65 ग्राम काई से एक कीपैड मोबाइल को चार्ज किया जा सकता है. मोबाइल चार्ज करने के बाद जय सोलर पैनल की तरह काई पैनल के निर्माण पर काम कर रहे हैं, जिसे घरों के दीवारों पर लगाया जा सकता है. शैवाल से बिजली बनाने वाले इस तकनीक का नाम है “इएफए-1″ यानी इलेक्ट्रिसिटी फ्रॉम एल्गी”.
जय बताते हैं कि अगर यह डिवाइस देश में सफलतापूर्वक लॉन्च हो गयी, तो ग्रामीण इलाकों में लोगों को बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. साथ ही शहरी क्षेत्रों में शैवाल का उपयोग करने से प्रदूषण पर भी काबू पाया जा सकता है.
काई से उत्पन्न बिजली का प्रयोग
जय बताते हैं कि 100 एमएल काई का प्रयोग कर रंग बिरंगी लाईट की एक लरी, कीपैड मोबाइल, एलईडी बल्ब, घड़ी भी चलाया जा सकता है. साथ ही इस डिवाइस की मदद से 5 से 44 वोल्ट तक इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट कर उसे बैटरी में स्टोर किया जा सकता है.
ऐसे मिली प्रेरणा
जय बताते हैं कि जब अपने आरा स्थित ननिहाल से वापस लौट रहा था तो रास्ते में ऐसे कई गांव मिले जो अंधेरे में डूबा हुआ था. उन गांवों में बिजली नहीं थी. उसी समय मन में ख्याल आया कि क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए जिससे आस-पास की चीजों से आसानी से बिजली बनाया जा सके. इसके बाद इसपर अध्ययन करने लगा. गांव में काई, पेड़-पौधे आसानी से मिल जाते हैं. इन चीजों से बिजली उत्पादन पर जब काम करने लगा तो काई से बेहतर रिजल्ट मिलने लगा.
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र के इनोवेशन हब के इंस्ट्रक्टर गौरव सर का बहुत योगदान रहा. अभी इस आईसीएआर के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है.
कैसे बनता है शैवाल से बिजली
शैवाल या काई एक पौधा है और फोटोसिंथेसिस करता है. इसी प्रक्रिया का प्रयोग कर बिजली बनाया जाता है जहां लाइट एनर्जी को हम इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देते हैं. इसके लिए सूर्य की किरणों का होना बेहद जरूरी है. दिन के अलावा रात के समय में भी बिजली का उत्पादन किया जा सकता है.
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इन जगहों से मिली सराहना
जय आदित्य बताते हैं कि उनका यह प्रोजेक्ट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ नॉवेल रिसर्च एंड डेवलपमेंट के वॉल्यूम-9 में प्रकाशित हो चुका है. इस मॉडल को विश्व रोबोटिक्स चैंपियनशिप में भी प्रस्तुत किया. न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज में देश-विदेश के टॉप 1000 और बाल विज्ञान कांग्रेस में भी सेलेक्ट किया गया. इसके साथ ही इस प्रोजेक्ट को लेकर कई पुरस्कार राज्य, देश और इंटरनेशनल स्तर पर मिल चुका है और सभी ने इसकी सराहना की है.
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FIRST PUBLISHED : February 16, 2024, 08:37 IST