दशहरा के दो दिन बाद यहां होता बड़ी-छोटी बहन का मिलन, खास है परंपरा

कैमूर. देश में नवरात्र के खास त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है. नौ दिनों तक माता की सेवा करने के बाद विजयादशमी पर रावण जलाने के साथ ही मां की विदाई की शुरुआत हो जाती है. लोग धूमधाम से ढोल-नगाड़े के साथ विसर्जन करते है. वहीं बिहार के कैमूर जिले के भभुआ में अनोखा नजारा देखने को मिलता है. विजयदशमी के दो दिन बाद भभुआ में मूर्ति विसर्जन की शुरुआत बड़ी और छोटी बहनों के मिलन के साथ शुरु होती है. मूर्ति विसर्जन करने से पहले भभुआ शहर में सदियों से चली इस अनोखी परंपरा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते है.

बता दे कि विजयदशमी के 2 दिन बाद ही रात में शहर की मूर्तियां सब्जी मंडी स्थित बड़ी देवी मां की मूर्ति को साथ लेकर शहर का भ्रमण करते हुए देवी जी रोड़ स्थित छोटी देवी मां के मंदिर पहुंचती है. यहां छोटी और बड़ी बहन का मिलन होता है. इस मिलन यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और नाच गाने के साथ माता रानी के मंदिर पहुंचकर दोनों बहनों का मिलन करवाते हैं .

हजारों भक्तों का उमड़ता है हुजूम
बड़ी और छोटी बहन के मिलन के इस खास दृश्य को देखने के लिए हजारों भक्तों का हुजूम उमड़ता है. आरती होने के बाद ही शहर की सारी मूर्तियों एक-दूसरे के आगे पीछे शहर का भ्रमण करते हुए विसर्जन के लिए सभी अपने स्थान पर प्रस्थान करती हैं. माता रानी के दर्शन करने के लिए शहर के लोग भोर से ही अपने घर से बाहर निकलकर माता रानी का इंतजार करते हैं. दर्शन होने के बाद सभी लोग माता रानी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

यात्रा के लिए बनाए जाते पांच अखाड़े
दुर्गा पुजा समिति के सदस्य ने बताया कि इस भव्य यात्रा की तैयारी को लेकर पहले से पांच अखाड़े बनाए जाते हैं. शहर में मूर्तियों का भ्रमण कराने से पहले सभी पांच अखाडों में पूजा-पाठ किया जाता है. इस अखाड़े में सभी वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर भाग लेते है और माता रानी के इस यात्रा में किसी भी तरीके का दिक्कत नहीं आने देते हैं. उनका कहना है कि छोटी और बड़ी मां के मिलन की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसे हम आगे लेकर चल रहे हैं.

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