दवा का बाप है ये डेढ़ फुट का पौधा, कब्‍ज को मरोड़कर फेंक देता है पेट से बाहर, भूख को कर देगा चौगुना..

हम लोगों को हर छोटी-छोटी बीमारी में दवा खाने की जरूरत इसलिए पड़ती है क्‍योंकि हमें अपने आसपास मौजूद चीजों के बारे में ही नहीं पता. इनके फायदे पता चल जाएं तो हम लोग बीमार ही न पड़ें. सब्जियों को भी अक्‍सर लोग स्‍वाद के लिए खरीद कर लाते हैं, जबकि कुछ सब्जियां दवाओं की भी बाप होती हैं. इनके फायदे जान लेंगे तो रोजाना इन्‍हें ही खाएंगे.

ऐसा ही एक हरा पौधा है जो प्रकृति ने सब्‍जी के रूप में हमें दिया है और सर्दी के इस मौसम में आसानी से मिल रहा है. एक-डेढ़ फुट का ये छोटा सा पौधा है बथुआ जो करीब एक दर्जन बीमारियों को झटके में दूर भगा देता है. वहीं पेट में कब्‍ज जैसी बीमारियों के लिए तो यह काल का काम करता है. यह सिर्फ दो से तीन महीने ही बाजार में मिलता है, अगर आपने अभी तक इसे अपनी डाइट में शामिल नहीं किया है तो आज ही कर लें. आइए जानते हैं इसके फायदे..

कब्‍ज का कर देता है खात्‍मा
अगर आप रात को बथुआ के पत्‍तों का साग या आटे में गूंथकर रोटी खाते हैं तो सुबह आपका पेट पूरी तर‍ह साफ हो जाएगा. सिर्फ 4-5 दिन लगातार बथुआ खाने से आपके पेट की पुरानी से पुरानी कब्‍ज भी गायब हो जाएगी और पेट मखमल सा हो जाएगा.

भूख कर देगा चौगुनी
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्‍थान (AIIA) नई दिल्‍ली के द्रव्‍यगुण विभाग की असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ. शिवानी गिल्डियाल बताती हैं कि जिन्‍हें भूख कम लगती है उन्‍हें सर्दी में बथुआ जरूर खाना चाहिए. बथुआ काफी हल्का होता है. इसमें शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ाने की ताकत होती है. इसमें कई ऐसे माइक्रो न्‍यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो मन और तन दोनों को फायदा पहुंचाते हैं. यह आयरन का अच्‍छा सोर्स है. इसमें फायबर भी होता और इसलिए यह पाचन में बेहद अच्छा होता है. कुछ दिनों में ही यह भूख को चौगुना कर देता है.

पाइल्‍स में रामबाण
बथुआ अर्श यानि बवासीर (Piles) की परेशानी में राहत देता है. चूंकि यह पेट साफ करता है तो इससे पाइल्‍स पर जोर नहीं पड़ता और वह जगह नर्म रहती है. पाइल्‍स का दर्द नहीं उखड़ता.

नकसीर में फायदेमंद
अगर किसी की नाक से अचानक खून बहने लगता है तो इसके सेवन से नकसीर की फ्रीक्‍वेंसी भी कम होती है.

पेट के कीड़े साफ
यह प्राकृतिक कृमि नाशक होता है. किसी बच्‍चे के पेट में कीड़े रहते हैं तो यह बेस्‍ट आयुर्वेदिक औषधि है. डॉ. शिवानी कहती हैं कि बथुए का स्‍वाद कसैला होता है, ऐसे में जब इसे भोजन में खाया जाता है तो यह पेट के अंदर के कीड़ों के लिए जटिल वातावरण पैदा कर देता है, एक ऐसा माहौल जिसमें कीड़ों को सर्वाइव करने में मुश्किल आती है.

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