अर्पित बड़कुल/दमोह. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों और पेड़-पौधों की भरमार हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी फायदेमंद होते हैं. इन्हीं औषधीय गुणों से भरपूर माना जाने वाला बबूल का पौधा है, जिसे कब्ज की बीमारी की रामबाण दवा माना गया है. राजस्थान में इसे कीकर के नाम से जाना जाता है. ये पेड़ स्वास्थ्य के लिहाज से खास उपयोगी माना जाता है.ये जंगली,कटीला पेड़ होता है, जो रेतीले धोरों में भी आसानी से उग जाता है.
स्थानीय तौर पर लोग इसे बबूल के नाम से जानते हैं.इस पेड़ में उगने वाली फलियों का चूर्ण बनाकर सेवन करने से पेट दर्द की समस्या ठीक हो जाती है. कीकर की पत्तियां, फली और छाल का प्रयोग पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही इसमें प्रोटीन, फाइबर और अन्य पोषक तत्व मौजूद होता है,जो पशुओं के लिए बेहद लाभकारी है. इसकी लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर बनाने से लेकर ईंधन के रूप में किया जाता है. सबसे बड़ी बात ये है कि इसकी लकड़ी पर दीमक कभी नहीं लगती है. दीमक प्रतिरोधी होने के कारण ये लकड़ी बाजार में अच्छे भाव पर बिकती भी है.
डायबिटीज करे कंट्रोल
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अनुराग अहिरवार ने बताया कि कीकर के पेड़ के कई सारे औषधीय गुण हैं. कई गम्भीर बीमारियों के इलाज में भी इसका प्रयोग किया जाता है. इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिकों और एंटीमाइक्रोबियल मौजूद होते है. इसके अलावा इसकी छाल और पत्तियां कई बीमारियों से बचाव में काम आती हैं. डायबिटीज, लूज मोशन, बुखार आना, इम्यून सिस्टम बढ़ाने में कीकर का पेड़ काम आता है.
नोट : इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
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FIRST PUBLISHED : March 7, 2024, 09:31 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.