दमोह. मध्य प्रदेश के दमोह में एक महिला सीने में दर्द से तड़प रही थी. परिजनों को एम्बुलेंस की दरकार थी. 5 घंटे तक महिला दर्द से कराहती रही. जब एम्बुलेंस नहीं आई तो आखिरकार महिला के बेटे ने एक ऑटो रिक्शा को ही एम्बुलेंस बनाया. बेटे ने को मां को ऑटो में लिटाया. उसी में ऑक्सीजन सिलेंडर रखा और फिर कुछ दूर नहीं बल्कि 20 किलोमीटर से ज्यादा का सफर इसी ऑटो में तय करने के बाद उसे जिला अस्पताल में दाखिल कराया. जहां अब महिला जिंदगी की जंग लड़ रही है.
जिले के हिंडोरिया कस्बे में बनी सरकारी अस्पताल में भगवती ठाकुर नाम की महिला को एडमिट किया गया था. उन्हें हार्ट अटैक की शिकायत थी, लेकिन हिंडोडिया के सरकारी अस्पताल में पर्याप्त इंतज़ाम न होने की वजह से डॉक्टर्स ने उन्हें दमोह जिला अस्पताल रेफर किया. मरीज भगवती को दमोह तक ले जाने एम्बुलेंस की दरकार थी. परिवार ने 108 एम्बुलेंस सेवा को कॉल किया. एक दो नहीं बल्कि दसों बार कॉल करने के बाद भी 108 एम्बुलेंस अस्प्ताल नहीं पहुंची.
बेटे ने मां को पहुंचाया अस्पताल
अस्प्ताल के डॉक्टर्स और स्टाफ भी मरीज की हालत को देखते हुए 108 सेवा पर कॉल करते रहे. आखिरकार जब 5 घंटे बाद भी एम्बुलेंस नहीं पहुंची तो भगवती के बेटे बाबू सिंह ने एक ऑटो रिक्शा बुलाया. अस्प्ताल के डॉक्टर ने उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराया और फिर उसी ऑटो से बाबू सिंह अपनी मां को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां उनका इलाज चल रहा है. इस पूरे घटनाक्रम ने सरकारी सेवाओं की बदइंतजामी की तस्वीर पेश की है.
इस पूरे मामले में जिला स्वास्थ्य अधिकारी सीएमओ डॉ. सरोजनी जेम्स का कहना है कि ये मामला उनके संज्ञान में है. उन्होंने हिंडोरिया अस्प्ताल के बीएमओ से बात की है. महिला की बिगड़ती हालत को देखकर उसकी जान बचाने के लिए उसके परिजनों ने एम्बुलेंस न आने पर ऑटो से सफर किया है. इस मामले में 108 सेवा के जिम्मेदार से जानकारी मांगी गई है और जांच भी की जाएगी. जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.
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FIRST PUBLISHED : March 3, 2024, 13:36 IST