अभिनव कुमार/दरभंगा : जगह-जगह मंदिरों का निर्माण हो रहा है. ऐसे में कई बार लोग भूल जाते हैं कि किन देवी देवताओं के मंदिर का मुख्य द्वार किस दिशा की ओर होना चाहिए. लोग इसकी अनदेखी कर देते हैं. जबकि शास्त्रों में साफ तौर पर दर्शाया गया है कि किन देवी-देवताओं के मंदिर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाहिए. लोग इसका ध्यान नहीं देते हैं. इससे लोगों पर शुभ और अशुभ लाभ होता है. इसपर विशेष जानकारी ज्योतिषाचार्य डॉ. कुणाल कुमार ने दी है.
जानिए किस देवता के मंदिर का किधर होना चाहिए मुख्य द्वार
इस पर विशेष जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा बताते हैं कि देवी देवताओं के मंदिर के मुख्य द्वार को लेकर इसका विधान वास्तु शास्त्र में दिया गया है. जैसे ब्रह्मा, विष्णु, शिव, इंद्र, सूर्य, कार्तिक इनका पूरब और पश्चिम मुख्य उत्तम माना गया है. वहीं भगवान शिव, भगवान विष्णु और ब्रह्मा के मंदिर का द्वार पूरब और पश्चिम दिशा में अगर नहीं बन सकता है तो किसी भी दिशा में बना सकते हैं.
देवी दुर्गा, मां काली और हनुमान जी के मंदिर का मुख्य द्वार हो इस दिशा में
उन्होंने आगे कहा कि भगवती का जैसे दुर्गा, काली इत्यादि मंदिर का निर्माण करते हैं तो इसके मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण तरफ होना चाहिए जो शुभ कारक होता है. वही हनुमानजी के मंदिर का मुख्य द्वार नैवित्यकोण मुख्य शुभप्रद होता है.
नैवित्यकोण दक्षिण और पश्चिम दिशा के कोण को कहा जाता है. अगर आप नैवित्यकोण में मुख्य द्वार का हनुमान जी का मंदिर बनवाते हैं तो उसे गांव में राक्षसी प्रवृत्ति और दानवीय प्रवृत्ति नहीं होता है. खासकर के दानवीय प्रवृत्तियों के द्वारा आघात भी उस गांव, शहर और नगर पर नहीं होगा. इसलिए मंदिर निर्माण से पहले वास्तु शास्त्र के इन नियमों को अवश्य जान ले जिससे कि गांव शहर और नगर सुख शांति और समृद्धि से भरा पूरा रहे.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2023, 20:33 IST