दतिया संघर्ष: गोलियों की तड़तड़ाहट और जलते हुए घर…दो घंटे चला था मौत का तांडव; 23 साल बाद मिला न्याय

Datia conflict took place before Tehsildar arrived

दतिया कांड: 15 को उम्रकैद के बाद गांव में तनाव, घरों में नहीं जले चूल्हे
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


मथुरा के दतिया में गांव में 23 जनवरी 2001 की सुबह तबाही का मंजर लेकर आई। जिस पंचायती भूखंड को लेकर जातीय संघर्ष हुआ। वह पहले से ही विवादित था। इस संबंध में न्यायालय में मुकदमा भी विचाराधीन था। घटना से एक दिन पहले ही गांव के लोगों ने उस वक्त डीएम रहे संजीव मित्तल से शिकायत की थी। डीएम ने तहसीलदार को मौके पर जाकर जांच के आदेश दिए थे। 23 जनवरी को तहसीलदार को जांच के लिए जाना था। मगर, उनके पहुंचने से पहले ही गांव में जातीय संघर्ष हो गया।

23 जनवरी 2001 की सुबह सात बजे के करीब पंचायत के भूखंड पर कुछ लोग ईंटों की बाउंड्री बना कर कंडे आदि थाप रहे थे। घटनाक्रम के अनुसार गांव में अनुसूचित जाति के लोगों के कुछ घरों को दूसरी जाति के लोगों ने चारों तरफ से घेर लिया। इसके बाद पंचायत घर के सामने स्थित इस प्लाॅट पर निर्माण कराने का प्रयास किया गया। लोगों को जब इस बात की जानकारी हुई तो वे अपने घरों से बाहर निकलने लगे। तनाव बढ़ा और देखते ही देखते गांव में संघर्ष की नौबत आ गई। बताते हैं कि इस बीच भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। कुछ घरों में आग भी लगा दी गई। गांव में यह तांडव करीब दो घंटे तक चलता रहा था।

मां जान बचाकर भागी, बीमार बच्ची जिंदा जली

हमलावरों ने चंदन के घर को जिस समय आग के हवाले किया, उस समय उसकी छह माह की बीमार दुधमुंही बच्ची घर के अंदर ही थी। उसकी मां अपनी जान बचा कर भाग निकली। वह लोगों से बच्ची को बचाने की गुहार लगाती रही। मगर, गांव में इस प्रकार का माहौल था कि हर कोई अपनी जान बचाकर भाग रहा था। किसी ने मदद नहीं की। आखिरकार गुड़िया की जलकर मौत हो गई।

एक माह तक पुलिस-पीएसी ने डाल लिया था गांव में डेरा

घटना वाले दिन पुलिस को रामप्रसाद की ओर से सूचना दी गई। करीब साढ़े नौ बजे पुलिस और पीएसी घटनास्थल पर पहुंची। फायर ब्रिगेड के चार दमकल वाहन भी पहुंचे। पुलिस के पहुंचते ही हमलावर गांव से भाग खड़े हुए थे। केवल महिलाएं ही घरों में थीं। दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद आग को बमुश्किल फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों ने काबू किया था। गांव में सुरक्षा की दृष्टि से पीएसी को तैनात कर दिया था। एक माह तक गांव में पीएसी-पुलिस का डेरा रहा। मगर, गांव के लोग इस प्रकार से भयभीत थे कि वह अधिकारियों से गुहार लगा रहे थे कि उन्हें किसी दूसरे स्थान पर सुरक्षित रखा जाएगा। रात में किसी समय भी उन पर दोबारा हमला हो सकता है।

डेढ़-डेढ़ हजार रुपये मिला था पीड़ितों को मुआवजा

घटना के पीड़ितों को डीएम ने मौके पर ही मुआवजा देने का एलान किया था। उस वक्त डेढ़-डेढ़ हजार रुपये पीड़ितों को मुआवजा मिला था। सभी घायलों का निशुल्क उपचार कराया गया था।

पहली विवेचना सीओ सदर ने की, फिर सीबीसीआईडी को स्थानांतरित हुआ केस

दतिया की घटना में होरीलाल द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में दिखाया है कि सात बजे उन्हें गांव के रामप्रसाद द्वारा सूचना दी गई। साढ़े आठ बजे करीब पुलिस ने तहरीर के आधार पर उसी दिन मुकदमा दर्ज कर लिया। मुकदमे की विवेचना का जिम्मा सीओ सदर को दिया गया। सीओ सदर ने जांच की, जिसमें 8 और आरोपी प्रकाश में आए। मगर, बाद में यह विवेचना आगरा सीबीसीआईडी को ट्रांसफर हो गई थी।

वारदात के पांच साल बाद कोर्ट की दहलीज पर सुनवाई को आया मुकदमा

दतिया की वारदात की गहनता से जांच के नाम पर खूब लेटलतीफी भी पुलिस स्तर से हुई। जनवरी 2001 में हुई इस घटना में पहली चार्जशीट 23 दिसंबर 2005 को कोर्ट में दाखिल हुई थी। इसके बाद दूसरी चार्जशीट (अन्य आरोपियों के नाम सहित) 7 जनवरी 2006 में दाखिल हुई। इस प्रकार कोर्ट में पांच वर्ष बाद मुकदमा सुनवाई को आया।

सभी दोषियों की उम्र 55 के पार

वारदात के सभी 15 दोषियों की उम्र 55 के पार है। उन्हें अदालत ने जानलेवा हमले, आगजनी, घातक हथियारों से आक्रामक होने के मामले में कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। ऐसे में सभी को जेल में कार्य करना पड़ेगा। हालांकि जेल प्रशासन उनकी उम्र व मेडिकल परीक्षण के आधार पर यह तय करेगा कि उनसे कठोर काम कराया जाए या फिर हलका काम कराया जाए।

इन 16 के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा

पूरन पुत्र भजनलाल, लच्छो पुत्र भजनलाल, छगन पुत्र भजनलाल, मोहन पुत्र परसादी, किशना पुत्र बुद्धा, राधे पुत्र लहोरे, परसादी पुत्र बुद्धा, जगदीश पुत्र रामजीलाल, नंदो पुत्र राधे, भगवान सिंह पुत्र पूरना, छिद्दी पुत्र लाल सिंह, रामचंद्र पुत्र बिरजा, रामस्वरूप पुत्र ग्यासी, दथौली पुत्र ज्वाला, राजेश पुत्र थान सिंह, सोनी पुत्र बुद्धा के नाम पर तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज हुआ था।

मुकदमे की विवेचना में इनके नाम प्रकाश में आए

हरिनारायण पुत्र रामबाबू, कमल सिंह पुत्र नत्थी, जयपाल पुत्र रतीराम, श्याम सिंह पुत्र कमल सिंह, रमन सिंह पुत्र पूरन सिंह, करुआ पुत्र होती सिंह, तुल्ली पुत्र कुंजी, एक अन्य के नाम विवेचना के दौरान प्रकाश में आया।

इन आरोपियों की हुई दौरान-ए-ट्रायल मौत

पूरन पुत्र भजनलाल, किशना पुत्र बुद्धा, राधे पुत्र लहोरे, परसादी पुत्र बुद्धा, भगवान सिंह पुत्र पूरना, दथौली पुत्र ज्वाला, राजेश पुत्र थान सिंह, सोनी पुत्र बुद्धा

दतिया जातीय संघर्ष की टाइमलाइन

23 जनवरी 2001 को संघर्ष हुआ

23 जनवरी 2001 को 16 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

01 फरवरी 2001 तक हुई गांव में शांति बहाल

23 दिसंबर 2005 को मुकदमे में पहली चार्जशीट दाखिल

7 जनवरी 2006 को मुकदमे में दूसरी चार्जशीट दाखिल

2021 में मुकदमे की सुनवाई में तेजी आई

25 जनवरी 2024 को अदालत में बहस-साक्ष्य पूरे

31 जनवरी 2024 को अदालत से 15 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *