दक्षिण एशिया में भारत हमारा सबसे बड़ा साझेदार : America

वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने भारत को दक्षिण एशिया में अपना सबसे बड़ा साझेदार बताते हुए कहा कि वह नयी दिल्ली के साथ अरबों डॉलर के जलवायु बुनियादी ढांचे को विकसित करने और एक नए कोष पर काम कर रहा है जिसमें उसके विकास वित्त संस्थान से 50 करोड़ डॉलर का निवेश शामिल होगा। दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो (एससीए) में सहायक उप सचिव अफरीन अख्तर ने वाशिंगटन फॉरेन प्रेस सेंटर द्वारा आयोजित एक समाचार सम्मेलन में यह कहा। 

अख्तर ने कहा, ‘‘दक्षिण एशिया में हमारे सबसे बड़े साझेदार भारत के साथ हमने पिछले साल जनवरी में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पर अमेरिका-भारत पहल शुरू की है।’’ उन्होंने बुधवार को कहा कि इसका लक्ष्य एक लचीली सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना, अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ाना और दूरसंचार की अगली पीढ़ी में भागीदार बनाना है जो फिर से भारत के साथ महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर सहयोग बनाने की एक महत्वाकांक्षी पहल है। 

अख्तर ने कहा, ‘‘हम अरबों डॉलर के जलवायु बुनियादी ढांचे को विकसित करने और एक नए कोष पर भारत के साथ मिलकर काम कर रहे हैं जिसमें हमारे विकास वित्त संस्थान से 50 करोड़ डॉलर का निवेश शामिल होगा।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत ने संयुक्त अभ्यासों, रक्षा औद्योगिक सहयोग मजबूत कर और ‘टू प्लस टू’ मंत्री स्तरीय वार्षिक संवाद मजबूत कर व्यापक तथा बहुआयामी रक्षा साझेदारी को और गहरा बनाया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम वास्तव में उस रक्षा संबंध के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह हमारी हिंद-प्रशांत रणनीति की अहम विशेषताओं में से एक है।’’ 

अख्तर ने कहा कि अमेरिका पूरे दक्षिण एशिया में बड़े निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका और भारत के अडाणी समूह ने श्रीलंका में कोलंबो बंदरगाह में 50 करोड़ डॉलर के निवेश की घोषणा की है। इस निवेश का उद्देश्य बंदरगाह की क्षमता का विस्तार करना है, जो पहले से ही 90 प्रतिशत की क्षमता पर काम कर रहा है और वास्तव में श्रीलंका को इस क्षेत्र में एक बड़ा आर्थिक खिलाड़ी बनने में सक्षम बनाना है क्योंकि यह इस प्रमुख समुद्री मार्ग के रास्ते में स्थित है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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